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________________ ६०० मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास मरुगुर्जर जैन गद्य-साहित्य (१६वीं शताब्दी) अभयधर्म उपाध्याय-आप संभवतः खरतरगच्छीय साधु थे। आपने 'दश दृष्टान्त कथानक बालावबोध'1 लिखा है। इनके शिष्य मुनि भानुचन्द्र थे जिनके पास प्रसिद्ध कवि बनारसीदास ने शास्त्राभ्यास किया था। आसचन्द्र -आप मडाहडगच्छ के आचार्य श्री कमलप्रभ के शिष्य थे । आपने सं० १५०१ में कल्पसूत्रबालावबोध लिखा । ग्रन्थ सरस एवं पठनीय हैं । उदयधवल-आप कमलप्रभसूरि के प्रशिष्य और मुनिप्रभसूरि के शिष्य थे । आपने षडावश्यकसूत्र पर बालावबोध लिखा । ग्रंथारम्भ में संस्कृत छंदों में गुरुपरम्परा दी गई है फिर गद्य में सूत्रों की व्याख्या की गई है। इसकी कुछ पंक्तियाँ भाषा के नमूने के रूप में प्रस्तुत की जा रही हैं : 'पहिल उसकल मंगलीकन मूल श्री जिनशासननउं सार । इग्यार अंगे चउद पूर्वनु उद्धार । सदैव शास्त्रतउ । श्री पंचपरमेष्ठि महामंत्र नउकार ।' अन्त- 'प्रत्याख्यान बालावबोधः छ । चउहथ अधिकार संपूर्ण हुइ छ । श्री षडावश्यक बालावबोध संपूर्ण हुउ। अहमांहि च्यारि अधिकार पहिलउ अधिकार देववंदन ।' उदयवल्लभसूरि-आप वृद्धतपागच्छीय विद्वान् संत थे। आपने सं० १५२० के लगभग 'क्षेत्रसमास बालावबोध' लिखा। ज्ञानसागरसूरि आपके योग्य शिष्य थे जिन्होंने सं० १५१७ में विमलनाथचरित्र लिखा था जिसका गुर्जर भाषान्तर हो चुका है। कमलसंयम उपाध्याय-आप बृहखरतरगच्छ के आचार्य श्री जिनहर्ष. सूरि के शिष्य थे । आपने सं० १५७४ के आसपास लोकाशाह के मंतव्यों के उत्तर में एक हुडी लिखी जिसका नाम है 'सिद्धान्तसारोद्धार-सम्य. क्त्वोल्लास टिप्पनक' । इसकी तीन-चार प्रतिलिपियों का परिचय मोहनलाल दलीचन्द देसाई ने जैनगुर्जर कवियों भाग ३ में दिया है । कुशलभुवनगणि-आपने सं० १५१७ में 'सत्तरीप्रकरण बालावबोध लिखा। गुणधीरगणि-आपने मूल संस्कृत रचना पर 'सिद्धहैमआख्यान बालावबोध लिखा है। १. श्री अगरचन्द नाहटा-राजस्थान का जैन साहित्य २. श्री मो० द• देसाई-जै• ग० कवि० - भाग ३, खंड २, पृ० १५९१ ३. वही पृ० १५८२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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