SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 539
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५२२ मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास संवत पनर वीसमि नयर सोविजा मध्य, देवभवन पद विसणां विम्ब प्रतिष्ठा कीध । संवत पनर पंचवीसमी भीमसाह प्रासादि, अर्बुदगिरि श्री आदि जिन थाप्या श्री गदराज । इन्ही प्रतिष्ठाओं के आसपास यह रचना भी हुई होगी। कविने रचना में अपने गुरु त० लक्ष्मीसागरसूरि को भी भक्तिपूर्वक प्रणाम किया है। यथाअन्तिम छंद - "एकमनाँ जे सांभलि, सालिभद्रनुरास, कर जोडी सेवक भणि, करसिलील विलास ।' सेवक-आप अंचल विधिगच्छीय गुणनिधानसूरि के शिष्य थे। आदिनाथदेवरासधवल सं० १५९०, ऋषभदेव विवाहलुधवलबंध ४४ ढाल सं० १५९०, सीमंधरस्वामीशोभातरंग' और 'आर्द्रकुमारविवाहलु' गा० ४६ तथा 'नेमिनाथचंद्राउला' आपकी उपलब्ध रचनायें हैं'। आप पूर्ववर्ती सेवक कवि से भिन्न, एक स्वतन्त्र एवं सबल कवि प्रतीत होते हैं। आगे इनकी भाषा शैली का नमूना तथा रचनाओं का संक्षिप्त विवरण दिया जा रहा है। ___ 'आदिनाथदेवरास' में चक्रेश्वरी की प्रार्थना करता हुआ कवि लिखता है : 'प्रणमिसुं पहिलू चक्रेश्वरीमात, जिन शासन स्वामिनी अ, थापती विधपखि अतिहि उदार, सार करइ सेवकतणी । ध्यायसं जिनचुबीस जे सार, आदि आदीश्वर गाइसं ओ, माय मरुदेवीअ तण मल्हार, नाभिराया कुल मंडणू ।' इस रास में भावसागरसूरि, गुणनिधानसूरि का सादर उल्लेख किया गया है। रचनाकाल का निर्देश इन पंक्तियों में है : 'संवत पनर निऊइ ओ काती मासि, आजुआली गायु श्री जिनजगदाधार ।' । 'ऋषभदेवधवल' में ऋषभदेव के चरित्र का गणानुवाद विवाहलो या धवल नामक काव्य विधा में किया गया है। इसकी भाषा में गेयता द्वष्टव्य है यथा : इम श्री नाभिनन्दन दुरित खंडण जगत्रमंडण जिनवरो, इम गुरु तणइ सुपसाउ घामी गाइया जगहितकरो, १. श्री अ० च. नाहटा-जै० म० गु० कवि पृ० १२१-१२२ २. श्री देसाई-जै० गु० क०-भाग ३, पृ० ५८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy