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________________ मरु-गुर्जर जैन साहित्य ५११ ६३, (९) यौवनजरासंवाद रास, पद्य २५ (१०) तेतलीमंत्रीरास सं० १५९५ (११) प्रसन्नचन्द्र रास, (१२) गर्भबेलि, गाथा ४४, (१३) आँखकान संवाद, (१४) सरस्वती छन्द, (१५) शालिभद्र सज्झाय इत्यादि ।' रचनाओं में रचना-स्थान नहीं दिया है किन्तु भाषा पर गुजराती का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है। श्री नाहटा जी का कथन है कि चूंकि लेखक का सम्बन्ध उपकेशगच्छ से है जिसका प्रभाव-क्षेत्र राजस्थान है अतः यह राजस्थानी कवि है। वस्तुतः सभी आग्रह छोड़कर इन्हें भी अन्यों की तरह मरुगुर्जर का महाकवि मानना ही उचित है। इनकी तमाम रचनाओं में गुणरत्नाकर छंद सर्वाधिक कवित्वपूर्ण और लोक प्रसिद्ध है। गुणरत्नाकर की रचना सं० १५७२ में हुई। इसमें चार अधिकार हैं। इसमें स्थूलिभद्र का चरित्र नाना प्रकार के छंदों में उत्तम ढंग से वर्णित है । स्थूलिभद्र की जीवनी के सरस रसिक भाग से इस रचना का सम्बन्ध होने के कारण यह सरस काव्यकृति हो गई है। इसका प्रारम्भ इस प्रकार हुआ है : 'शशिकर निकर समुज्वल मराल मारुह्य सरस्वती देवी, विचरति कवि जन हृदये सदये संसार भयहारिणी। हस्त कमंडल पुस्तक वीणा, सुहझाण नाण गुणछीणा, अप्पइ लील विलासं सा देवी सरसइ जयउ ।” आणी नवनव बंध नवनव छंदेण नवनवा भोगा, गुण रत्नाकर छंद, वन्निसु थुलिभद्दस्स ।' इसमें पाटलिपुत्र के मंत्री शकटार के पुत्र स्थूलिभद्र और कोशा वेश्या की परिचित कथा के माध्यम से स्थूलिभद्र का उच्च संयम एवं श्रेष्ठ चरित्रबल वर्णित है। इसका रचनाकाल इस प्रकार कहा गया है : 'संवत पन्नर बिहुत्तर वरसे, अम इ छंद रचिओ मन हरसे, गिरुओ गणहर नवनव छंदइ, सहिजसुन्दर बोलइ आणंदइ ।' इलातीपुत्र सज्झाय- इसका रचनाकाल इस प्रकार बताया गया है : 'संवत पनर कहिउँ ७० जेठ वदि नवमी दिनिइ, सुख पामिस्यइ जे भाव मणिस्यइ काज सरस्यइ अक मनइ ।' ऋषिदत्ता रास का मंगलाचरण देखिये :'पणमवि सरसति जगि जइवंता, हंसगमनिलि चालइ मलयंता, मदि माता मयगलजिसीय । १. श्री अ० च० नातटा-'परम्परा' पृ० ६४ २. श्री मो० द. देसाई-जै० गु०क० भाग १ पृ० १२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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