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________________ मह-गुर्जर जैन साहित्य ४८१ I सुरप्रियकेवलीरास की रचना खंभात नगर में सं० १५६७ में हुई । 'विमल प्रबन्ध' आपकी प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृति है, यह सं० १५६८ में लिखी गई । देश - देश में विहार करते सोरठ से गिरनार होते लावण्यसमय मालसुंद आये और वहीं चातुर्मास किया । यहीं पर पार्श्वनाथ जिनालय के पास आपने संघ के आग्रह पर मंत्री विमल पर आधारित यह प्रबन्ध, लिखा । यह रचना प्रकाशित और बहुत प्रसिद्ध है । इसका प्रारम्भ देखिये :'आदि जिणवर आदि जिणवर प्रथम प्रणम्योसु, ias fo अदा सकल देवि श्रीमान ध्याउं, पुमावय चक्केसरि वाग्वाणि गुण रंगि गाउं, सहिगुरु आपसशीरिधरि आलस अलग करेसि, हि कवियण हूं विमलमति, विमल प्रबंध रचेसि । ३१ इसमें कवि ने अपना वंश परिचय और इतिवृत्तादि दिया है । रात सम्बन्धी विवरण देखिये 'संवत पनर अठसठइ, वडु रास विस्तार, ते प्रमाणि पुरु चडिउं मालसमुद्र मझारि ।' अन्त में रचना विवरण इस प्रकार है 'हा छंद कवित्त मिली, भाषा विविध वचन्न, विमलरास अंके अछइ, तेरसया छप्पन्न । बत्री से अक्षर थिको, बांधइ ग्रन्थहमान, सत्तरशत लीहि अग्रला, अह ग्रंथनु न्यान'" 2 इनकी रचनाओं में गुजराती, राजस्थानी, हिन्दी आदि सभी भाषाओं के मिले-जुले प्रयोग द्रष्टव्य हैं । यह वस्तुतः उन सन्तों की भाषा है जो किसी प्रादेशिक सीमा में बंधे नहीं रहते । 'खिमऋषि, बलिभद्ररास' और 'यशोभद्ररास' की रचना सं० १५८९ अहमदाबाद में हुई । ये तीनों रास 'प्राचीन ऐतिहासिक रास संग्रह' भाग २ में प्रकाशित हैं । 'करसंवाद' और 'रावणमंदोदरी संवाद' संवाद शैली में लिखी रचनायें हैं । रचना का विवरण कवि ने इन पंक्तियों में दिया है 'मालव मरहठ सोरठ सार, गूजर देश सविहु सिणगार, विनय विवेक विचार विशेष, दीसइ धम्मतिणउ बहु देख, १. देसाई - जै० गु० क० - भाग १, पृ० ७५-७९ २ . वही ६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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