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________________ ४२८ मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास १६वीं शताब्दी के मध्य की रचना है। रूपकमाला बालावबोध में रचनाकार श्री रत्नरंगोपाध्याय ने पुण्यनंदि को उपाध्याय कहा है, यथा 'पुण्य नंद्युपाध्यायेन शील रूपक मालिका, विहिता भव्य जीवानां चित्तं शुद्धि विधायिका ।' इस प्रकार आप एक उत्तम विद्वान्, सुकवि और परवर्ती विद्वानों द्वारा समादृत लेखक थे। आपकी भाषा में काव्योचित माधुर्य एवं लय-प्रवाह है । आपकी काव्य भाषा स्वाभाविक मरुगुर्जर का काव्योचित स्वरूप प्रस्तुत करती है। पुण्यरत्न-(आंचलिक आचार्य सुमतिसागर सूरि के शिष्य श्री गजसागर सूरि के आप शिष्य थे) ? आपने सं० १५९६ में नेमिरास-यादवरास' नामक रास लिखा । श्री देसाई ने इन्हें १६वीं शताब्दी का कवि बताया है। इस रासको ६४ गाथाकी रचना कहा है किन्तु न तो कविके सम्बन्ध में और न ही रचनाके सम्बन्धमें कोई उद्धरण विवरण दिया है । उन्होंने भाग १ में पुण्यरत्न को १७वीं शताब्दी का बताया था और उन्हें आंचलिक गच्छ के गजसागर सूरि का शिष्य बताया था। उनकी रचना का नाम भी 'नेमिरासयादवरास' लिखा है, वह रचना भी ६४.६५ कड़ी की है लेखक का नाम भी एक ही है फिर दोनों एक ही कवि क्यों नहीं है, यह समझ में नहीं आया। श्री देसाई ने भाग ३ में साफ लिखा है कि आंचलिक पुण्य रत्न से भिन्न पुण्यरत्न दूसरे हैं । अस्तु, आगे उन्होंने भाग १ में नेमिरास-यादवरास का समय नहीं दिया है किन्तु पुण्यरत्न की एक दूसरी रचना सनतकुमार रास का समय सं० १६३७ लिखा है अतः ऐसा लगता है कि दो पुण्य रत्न हो सकते हैं किन्तु नेमिरास-यादवरास कर्ता पुण्यरत्न १६वीं के हैं और सनतकुमार रास के कर्ता पुण्यरत्न १७वीं शताब्दी के हैं। इसी आधार पर 'पुण्यरत्न की रचना नेमिरास यादवरास' का विवरण उद्धरण १६वीं शताब्दी के अन्तर्गत दिया जा रहा हैआदि- 'सारद पाय प्रणमी करी, नेमितणा गुण हीयइं धरेवि, रास भगुरलीयामणो, गुण गाइस गिरुआ संखेवि, हुबलिहारी यादवा। अक रसउ रथ पाछो वालि, अपराध नमइ कउ कीऊ, काई छोड़इ नव जोवन बाल, राजल प्रीउ प्रति इम कहइ, हुं बलिहारी यादवा। १. श्री देसाई--जे० गु० कवि भाग ३ पृ० ६१८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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