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३८० मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास है। इनमें से पं० जिनदास आयुर्वेद के विद्वान् थे और सं० १६०८ में इन्होंने होली रेणुका चरित्र लिखा था। पाण्डेय जिनदास ने जो ब्रह्मशान्तिदास के शिष्य थे, जम्बू स्वामी चरित्र, जोगी रासो, माली रासो आदि लिखा । ये भी १७वीं शताब्दी के कवि ठहरते हैं। तीसरे जिनदास भी १७वीं शताब्दी के मराठी जैन कवि थे। चौथे जिनदास १९वीं शताब्दी के कवि
और पं० लक्ष्मीसागर के शिष्य हैं। इन सबसे भिन्न प्रस्तुत पांचवें ब्रह्मजिनदास हैं । इन्होंने मरुगुर्जर में जिसे ये देशभाषा कहते हैं, काफी साहित्य लिखा है। भ० सकलकीर्ति पर शोध करने वाले विद्वान् डॉ० बिहारीलाल जैन जिनदास का जन्म सं० १४२५ मानते हैं किन्तु डॉ० कासलीवाल आदि विद्वान् इनकी जन्मतिथि सं० १४५० के आसपास मानते हैं क्योंकि आप भ० सकल कीर्ति के अनुज थे और भ० सकलकीर्ति की जन्मतिथि सं० १४४३ स्वीकृत है । इनके पिता हंबड़ वंशीय दिगम्बर जैन श्री करमसिंह थे। इनकी माता का नाम शोभा था। आपने अपने अग्रज सकलकीति की देख रेख में दीक्षा और शिक्षा प्राप्त की। कहीं-कहीं गुरु रूप में आपने भुवनकीर्ति का भी सादर स्मरण किया है। इनकी निधन तिथि भी अनिश्चित है किन्तु हरिवंश पुराण सं० १५२० में लिखा गया इसलिए इनकी मत्यू सं० १५२० के बाद ही किसी समय हुई होगी। इस प्रकार सं० १४५० से सं० १५३० तक आपकी आयु अनुमानित है।
रचना सूची- इस अवधि में आपने विपुल साहित्य लिखा जिसमें पुराण काव्य, चरित काव्य, कथाकाव्य आदि कई तरह की रचनायें मिलती हैं । पुराण काव्य के अन्तर्गत आदिनाथ रास, रामरास, हरिवंशपुराण रास, चरित काव्य में अजित जिनेसर रास, हनुमन्त रास, सुकमाल रास, नागकुमार रास, चारुदत्त रास, सुदर्शन रास, जीवन्धर स्वामी रास, जंबूस्वामी रास, श्रेणिक रास, धन्यकुमार रास, श्रीपाल रास, यशोधर रास, भविष्यदत्त रास और कथाकाव्य के अन्तर्गत अम्बिकादेवीरास, रोहिणीरास, रात्रिभोजन रास, सगरचक्रवर्ती कथा, गौतमस्वामीरास, भद्रबाहुरास, समकित अष्टांग कथा रास, सासरवासाको रास, होली रास, महायज्ञ विद्याधर कथा, धर्मपरीक्षा रास, वंकचूल रास, रविव्रत कथा, पुष्पांजलि रास, आकाश पंचमी कथा, दस लक्षण व्रत कथा रास, सोलह कारण व्रत रास, अनन्त व्रत रास, पुरन्दर विधान कथा, ज्येष्ठ जिनवर पूजन कथा, लुब्धदत्त विनयवती कथा, सुकान्त साह, मालिणी पूजा कथा, मंडुक की पूजा कथा, दानकथा;
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