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________________ P मरु-गुर्जर जैन साहित्य ३५९ रचना है। इस प्रबन्ध काव्य में माधवानल का चरित्र चित्रित किया गया है। माधवानल कामकंदला की प्रेमकथा पर हिन्दी एवं अन्य भाषाओं में प्रचुर साहित्य लिखा गया है। इसके प्रथमांग के प्रथम बन्ध में कवि कामदेव की वंदना करता हुआ लिखता है : 'कुंयरा कमला रति रम्मण, मयण महाभउ नाम, पकजि पूजा पयकमल, प्रथम जि करू प्रणाम । नल माधवानल नरमि करि, कामकंदला नारि, कुडाल्या बे कमल भू तुहिनि कर्णत मुरारि ।' १५२ छंदों मे प्रथमांग सम्पूर्ण हुआ है। इसके अन्त में कवि ने अपना परिचय इस प्रकार दिया है 'अंग प्रथम पूरु हवु बीजा गुण बोलेसि, नरसा सुत गणपति कहिं मधुकर जिम मधुरेस । अन्त में रचनाकाल इस प्रकार बताया गया है 'वेद भुअंगम वांण शशि (१५८४) विक्रम वरस विचार, श्रावणनी शुदि सप्तमी स्वामते मंगलवार ।' यद्यपि इसमें माधवानल कामकंदला की कामक्रीड़ा का वर्णन है और अन्य जैन कृतियों की तरह इसका अन्त वैराग्य में नहीं दिखाया गया है किन्तु साहित्यिक दृष्टि से मरुगुर्जर साहित्य में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी हस्तलिखित प्रति के अन्त में लिखा है 'इतिश्री माधवानल प्रबन्धे कवि श्री गणपति विरचिते दोग्धक वंधेन माधवानल कामकंदला कामक्रीड़ा संभोगे अष्टमांग सम्पूर्ण । सं० १६७० महीसाणा में यह प्रति पं० रामजी गणि द्वारा लिखित है और जसविजय तथा धनविजय गणि के लिए लिखी गई है अर्थात् इसका सम्बन्ध जैन मरुगूर्जर साहित्य से घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है । अतः इसका विवरण यहाँ दिया गया है । गुणकीति-आप ब्रह्म जिनदास के शिष्य थे। इनकी रचना 'राम सीता रास' एक उत्तम प्रबन्ध काव्य है जिसमें काव्यगत गुण उपलब्ध होते हैं । यह काफी लोकप्रिय रास होगा क्योंकि इसकी अनेक प्रतियाँ राजस्थान के भंडारों में प्राप्त होती हैं । रास के अन्तिम तीन पद्य दिए जा रहे हैं :१. श्री मो० द० देसाई-जै० गु० क० भाग ३ खंड २ पृ० २१-२२-२३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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