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________________ २६२ मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास सुन्दरी' चरित लिखा । इनकी रचना 'चन्द्रधवल धर्मदत्तकथा' भी उल्लेखनीय है । आप अपने गद्य ग्रन्थ 'पृथ्वीचन्द्र चरित्र' (वाग्विलास) के लेखक के रूप में विशेष प्रसिद्ध हैं । यह रचना सं० १४७८ में लिखी गई प्रारम्भिक मरुगुर्जर गद्य की महत्वपूर्ण कृति है। यह 'प्राचीन गुर्जर काव्य संग्रह' में प्रकाशित है । इसका विवरण गद्य खंड में दिया जायेगा। मरुगुर्जर भाषा में रचित आपकी महत्वपूर्ण कृति है-'नेमीश्वर चरित फागवंध' इसमें ९१ गाथायें हैं । यह श्री आत्मानन्द जन्म शताब्दी स्मारक ग्रंथ में प्रकाशित रचना है। इसके प्रथम तीन श्लोक संस्कृत में हैं । कवि की अन्य संस्कृत रचनाओं की सूची पहले दी जा चुकी है। इस रास में संस्कृत के छंदों के अलावा सामान्य रूप से काव्यभाषा में तत्सम शब्दों के प्रयोग की बहुलता है। इससे लगता है कि कवि संस्कृत भाषा में अच्छी गति रखता है । भाषा के नमूने और लय प्रवाह के उदाहरणार्थ कुछ पंक्तियाँ इस रचना से उद्ध त की जा रही हैं :'नमउं निरंजन विमल समाविहि, भाविहिं महिम निवास रे, देव जीरापल्लि वल्लिय नवधन, विधन हरइ प्रभुपास रे।' इसकी अन्तिम दो पंक्तियाँ आगे दी जा रही हैं-- 'कय अक्षर जिम बे तिहि मिलीया, सुन्दर परमब्रह्म सिउं मिलीया, दुख वजित विलसति । रसि जु नेमिजिण चरिय सुच्छंदिहिं, कृतमति भुणइ सुणइ __ आणंदिहिं तसु मंगल नितु हुँति ।९१।' आप संस्कृत और मरुगुर्जर भाषा के गद्य और पद्य दोनों विधाओं के अच्छे लेखक थे । 'नेमिश्वर फागु बन्ध' का विषय नेमिराजुल पर आधारित स्वयम् काफी सरस एवं मधुर है दूसरे कवि ने काव्य-विधा के रूप में फागु नामक अत्यन्त सरस शैली स्वीकार किया इसलिए इस रचना में सरसता और काव्य सौन्दर्य उच्चकोटि का उपलब्ध होता है । माणिक्यसूरि-आपकी रचना 'राजीमती उपालंभ स्तुति' गाथा १८ का समय श्री नाहटा जी ने १५वीं शताब्दी बताया है। पता नहीं ये माणिक्यचन्द्रसूरि ही हैं या अन्य माणिक्यसूरि। आपकी रचना का आदि देखिये : १. श्री मो० द. देसाई, जै० गु० क. भाग ३ पृ.४४३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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