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________________ २३८ मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास जयसागर उपाध्याय-आप जिनराजसूरि ( खरतर गच्छ ) के प्रथम शिष्य थे। संस्कृत भाषा में रचित पृथ्वीचन्द्र चरित्र में अपना परिचय देते हुए इन्होंने अपने दीक्षागुरु का नाम जिनराजसूरि और विद्यागुरु का नाम जिनवर्धन सूरि बताया है। जयसागर उपाध्याय के सम्बन्ध में श्री अ० च० नाहटा ने अपना एक लेख 'शोधपत्रिका' में प्रकाशित कराया है, विशेष जानकारी के लिए उसे देखा जा सकता है। आप संस्कृत, प्राकृत, मरुगुर्जर आदि भाषाओं के प्रकाण्ड पण्डित थे और इन सभी भाषाओं में आपने रचनायें की हैं। आपकी उल्लेखनीय कृतियों का नाम आगे दिया जा रहा है :-(१) जिन कुशल सूरि चतुष्पदिका सं० १४८, मलिक वाहणपुर। इसका संक्षिप्त संस्करण गुरुभक्तों में बहुत लोकप्रिय है और नित्य पाठ किया जाता है, (२) चैत्यपरिपाटी सं० १४८७, (३) वयरस्वामि गुरु रास सं० १४८९ जूनागढ़, ( ४ ) अष्टापद बावनी, (५) नेमिनाथ विवाहला, (६) गिरनार वीनती, (७) कल्याणमन्दिर भाषा, (८) नगरकोट्ट महातीर्थ चैत्य परिपाटी (गाथा १७ ), (९) गौतम रास ( १२ गा० ), (१०) अष्टादश तीर्थ बावनी (५४ गा० ), (११) चौबीस जिन स्तोत्र ( १४ गाथा ) इत्यादि । इनमें जैसा कहा जा चुका है 'जिन कुशल सूरि चतुष्पदी' सबसे लोकप्रिय रचना है। उसके आदि और अन्त के छन्द उद्ध त किए जा रहे हैं :आदि "रिसह जिणेसर जो जयउ, मंगल केलि निवास, वासव वंदिय पयकमल जगहेतु पूरइआस । अन्त-काई करहु पृथिवीपति सेवा, काइं मनावउ देवी देवा, चिंता आणइ काई मनि । बारबार दुइ कवितु भणीजइ, श्रीजिनकुशल सूरि समरीजइ, __ सरई काज आयास विणु। संवत् चउद इगासिय वरिसिहिं, मलिकहणपुरकरिमन हरिसिहि, अजियजिणेस पसायवसि । कियउ कवित हुइ मंगलकारण, विधन हरइ पर पाप निवारण, कोइ म संसउ करहमनि ॥६९॥ श्री जयसागर महोपाध्याय कृत श्री जिनकुशलसूरि चतुष्पदिका को दादा जिनकुशलसूरि नामक पुस्तक श्री अ० च० नाहटा ने प्रकाशित १. श्री मो० द० देसाई-जै० गु० क० भाग १ पृ० २७, भाग ३ खंड १ पृ० ४३०. ४३१ और भाग ३ खंड २ पृ० १४७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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