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________________ मरु-गुर्जर जैन साहित्य २३१ 'भरत बाहुबलि पवाडा' के अन्त में 'इति श्री भरथ बाहुबलि सम्बन्ध द्वितीयो प्रबन्ध' लिखकर यह शंका उत्पन्न कर दी है कि ये दोनों एक ही रचना के दो भाग हैं या दोनों दो स्वतन्त्र प्रबन्ध ग्रंथ हैं ? 'पवाडा' का प्रारम्भ इस प्रकार हुआ है : "पढम जिणेसर पाय नमु नित, से त्रुञ्ज केरो स्वामि, अहदिस आदित नाम जपनां, दुरगति नासि नाम ।" यह अडताल चौपइ छन्द है, इसे लेखक ने 'पवाड़ा' कहा है, यथा "आदि कूअरि करूं वीनती, ब्राह्मी अम वर दीजि, भरथ बाहुबलि तणो पवाडो, तुझ पसामि कीजि ।५।" इस पवाडे के अन्त की पंक्तियां आगे उद्धृत की जा रही हैं :-- 'अ जपंता अंगि पाप न लागि, अविहउ सुख अनन्त । श्री गुणरत्न सूरी इमं बोलि, श्री आदिनाथ जयवंत ।३९७ ।' अपने नाम के अनुरूप यह एक विस्तृत पवाडा है और प्रबन्ध काव्य की मान्यताओं के करीब है । इस पवाडे में जैन संसार की सुपरिचित भरत और बाहुबलि की कथा का आख्यान किया गया है। इसकी भाषा स्वाभाविक और सरल मरुगुर्जर है। यह रचना १५ वीं शताब्दी की है। इस सम्बन्ध में श्री देसाईजी ने कई आधार दिए हैं इनमें प्रमुख आधार यह है कि इनके गुरु गुणसमुद्र सूरि ने सं० १४९२ में पंचतीर्थ के बिम्ब की प्रतिष्ठा कराई थी। अतः इसे १५वीं शती की रचना मानना युक्तियुक्त लगता है। चांप-चंप-आपने सं० १४४५ में भट्टारक देवसुन्दर सूरि रास लिखा। इसमें उक्त सरिजी का चरित्र ५५ पद्यों में लिखा गया है। यह रचना अभी अप्रकाशित है । इसकी प्रति श्री नाहटाजी के संग्रह में है। चंप कवि कृत नलचरित्र या 'नल दवदंती रास' भी १५वीं शताब्दी की रचना है, इसलिए यह अधिक सम्भव है कि दोनों - चाँप और चंप-एक ही कवि हों। नलचरित्र की प्रति खण्डित है अत रचना सम्बन्धी अधिक विवरण नहीं प्राप्त है । यह सं० १४९८ के आसपास की रचना कही गई है। इसका प्रथम पद्य इस प्रकार है १. श्री अ० च० नाहटा 'राजस्थानी साहित्य का आदिकाल' परम्परा' विशेषांक पृ० १८१ सं० श्री नारायण सिंह भाटी २. श्री मो० द० देसाई 'जै० गु० क०' भाग ३ पृ० ४३४-४३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgi
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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