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________________ २२० मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास पर नामधारी सुल्तान शहाबुद्दीन उमर के नाम पर स्वयं निरंकुश शासन करने लगा, किन्तु अलाउद्दीन की मृत्यु के कुल ३५ दिन बाद ही मलिक काफूर का भी वध कर दिया गया। शहाबुद्दीन उमर को हटा कर उसका बड़ा भाई कुतुबुद्दीन मुबारक शाह राजगद्दी पर बैठा। यह भी अत्यधिक विलासी और अकर्मण्य था। अपने दास खुसरो पर वह पूर्णतया आश्रित रहने लगा। खुसरो भी गुजरात का हिन्दू था जो बाद में मुसलमान हो गया था। वह बड़ा चालाक था। जब गुजरात में अलप खां के समर्थकों ने विद्रोह किया तो उन्हें निर्दयतापूर्वक कुचलने में खुसरो की चालाकी से मुबारक शाह को बड़ी कामयाबी मिली थी अतः शीघ्र ही मुबारक शाह उसके चंगुल में फंस गया। गद्दी पर बैठते ही मुबारक शाह ने अपने तीनों भाइयों का वध करवा दिया और खुसरो पर पूर्णतया आश्रित हो गया। सं० १३७७ में ( कुल चार वर्ष बाद ) खुसरो ने मुबारक शाह का वध करवा दिया और राजसत्ता स्वयं हस्तगत कर लिया। यह बड़ा क्रूर और अत्याचारी था। इसके अत्याचार जब काफी बढ़ चले तो उसका विरोध करने के लिए अमीर-उमरा एकजुट होने लगे। जूना खां ( पीछे मुहम्मद तुगलक ) ने अपने पिता गाजी मलिक को, जो पंजाब का सूबेदार और एक शक्तिशाली सरदार था, दिल्ली बुलवाया। गाजी मलिक ने चारपांच महीने के भीतर ही खुसरो का वध करके गयासुद्दीन तुगलक के नाम से सल्तनत पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार खिलजी वंश चौदहवीं शताब्दी के अन्त तक समाप्त हो गया और दिल्ली की गद्दी पर नये राजवंश (तुगलक वंश) का शासन प्रारम्भ हुआ। तुगलकों ने सं० १३७७ से सं १४७० तक लगभग एक सौ वर्ष दिल्ली पर शासन किया । राजसत्ता तो बदली किन्तु अ० खिलजी की हिन्दू विरोधी नीति, लूटपाट और अत्याचार का क्रम बन्द नहीं हुआ। अस्थिर शासन और अधिकारियों के अत्याचार-शोषण के विरुद्ध गुजरात और राजस्थान में प्रतिरोध भी होता रहा। विद्रोह की आग भी सुलगती रही। मु० तुगलक के समय गुजरात में अफगान, तुर्क, राजपूत सत्ताधारियों और हिन्दू राजाओं ने मिल कर विद्रोह कर दिया। उस समय गुजरात का शासक मलिक मकबूल था। विद्रोहियों ने उस पर आक्रमण करके शाही खजाना लूट लिया। विद्रोह की खबर पाकर मु० तुगलक गुजरात पहुँचा। उस समय वहां 'तगी' नामक एक मोची विद्रोहियों का नेतृत्व कर रहा था। तगी ने नेहरवाला, खम्भात, भड़ौच आदि कई स्थानों पर कब्जा कर लिया था। मु० तुगलक के गुजरात पहुँचने पर तगी वहां से भागकर थट्टा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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