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________________ अध्याय ४ मरु-गुर्जर जैन साहित्य ( १५ वीं शताब्दी ) १५ वीं शती के मरु-गुर्जर जैन साहित्य की पीठिका राजनीतिक पृष्ठभूमि सं० १३५६ में अलाउद्दीन खिलजी ने गुजरात पर अधिकार किया और अपने साले तथा विश्वसनीय सरदार अलप खाँ को वहाँ का सूबेदार नियुक्त किया । गुजरात अभियान के समय उसने एक हजार दीनार में मलिक काफूर नामक एक दास को वहीं क्रय किया । यह गुजरात का हिन्दू था और बाद में मुसलमान बन गया । यह रूपवान और गुणवान था । इसने अपने रूप और गुण से सुल्तान को वश में कर लिया था । अलाउद्दीन के अन्तिम दिनों में वह साम्राज्य का एकमात्र कर्ता-धर्त्ता हो गया था । उसकी सत्ता और शक्ति लोलुपता बढ़ती गयी। उसने साम्राज्य को स्वयं हस्तगत करने के लिए तरह-तरह की चालें चलनी शुरू की । सर्वप्रथम उसने खाँ को मरवा कर अपने मार्ग से प्रतिद्वन्दी को हटा दिया । अलप खाँ बादशाह का केवल साला ही नहीं था बल्कि वह बड़े शाहजादे खिज्र खाँ का श्वसुर भी था और चाहता था कि खिज्र खाँ को राजगद्दी पर शीघ्र बैठाया जाय । अलप खाँ की मृत्यु के बाद मलिक काफूर ने बादशाह वसीयत लिखवा कर खिज्र खाँ की जगह सबसे छोटे शाहजादे शहाबुद्दीन को राजगद्दी का वारिस घोषित कराया । खिज्र खाँ को ग्वालियर के किले में कैद कर दिया गया । अलाउद्दीन की रुग्णावस्था और निरन्तर बढ़ती अक्षमता के कारण साम्राज्य में जगह-जगह विद्रोह होना शुरू हो गया । अलप खां के मरते ही गुजरात में विद्रोह हो गया । चित्तौड़ से भी सुल्तान के अधिकारियों को खदेड़ दिया गया । देवगिरि और पश्चिमी सीमांत प्रदेश TM में भी विद्रोह भड़क उठा था । अलाउद्दीन विवशतापूर्वक जीतेजी अपनी आंखों के सामने अपने साम्राज्य को टूटते और तहस-नहस होते देख कर पागलों की तरह बौखला उठा था । अन्ततः सं० १३७३ में उसकी तड़पतड़प कर मृत्यु हो गई । यह भी कहा जाता है कि उसके खूबसूरत दास मलिक काफूर ने उसे विष देकर मरवा डाला था । उसकी मृत्यु के बाद अपनी पूर्व योजना के अनुसार उसने ६ वर्षीय शहाबुद्दीन उमर को सम्राट् घोषित कर सत्ता पर पूरा कब्जा जमा लिया । उसने अलाउद्दीन की विधवा मलिका-ए-जहां और खिज्र खां के दो छोटेभाइयों - शादी खां और मुबारक खां को भी बन्दी बना लिया और साम्राज्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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