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________________ मरु गुर्जर जैन साहित्य १४९ १३ वीं शती के अज्ञात कवि-अज्ञात कवि कृत श्री गुरुगुण षट्पट! नामक रचना सं० १२७८ के आसपास लिखी गई है जो ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह में प्रकाशित है। इसमें अभयदेव सूरि के शिष्य जिनवल्लभ सूरि और इनके शिष्य जिनदत्त सूरि तथा उनके शिष्य जिनचन्द्र सूरि का उल्लेख है। इसमें एक द्विपदी और आठ षट्पदियाँ ( छप्पय ) हैं । इसकी भाषा में अपभ्रंश का मिश्र प्रयोग हुआ है। यह मरुगुर्जर की रचना है। इसमें जिनचन्द्र के शिष्य जिनपति और उनके शिष्य जिनेश्वर सरि का भी उल्लेख है। वर्द्धमान सूरि से लेकर जिनपति सूरि तक के सभी आचार्य जिनेश्वर सूरि को आशीर्वाद देते हैं। खरतरगच्छ के गुरुओं का यह छन्दोबद्ध ऐतिहासिक परिचय है। जैन समाज में अनेक सम्प्रदाय मिलते हैं जिन्हें गच्छ कहा गया है। इनमें ८४ गच्छ प्रसिद्ध हैं, खरतर शब्द तपागच्छ अंचलगच्छ और लोंकागच्छ में अनेक उत्तम कोटि के लेखक एवं साधक हो गये हैं जिन्होंने अपने गच्छ के साथ समस्त जैन समाज की बड़ी प्रभावना की है। इनका संक्षिप्त परिचय अन्त में दिया जा रहा है । इस रास का सारांश इस प्रकार है जिनपति सूरि का जन्म विक्रमपुर निवासी माल्हू यशोवर्द्धन की भार्या सूहव देवी की कुक्षि से सं० १२१० में हुआ। इनके बचपन का नाम नरपति था। सं० १२१८ में आचार्य जिनचन्द्र ने इन्हें भीमपल्ली में दीक्षित किया और सं० १२२३ में जयदेव सूरि ने इन्हें जिनचन्द्र सूरि के पट्ट पर प्रतिष्ठित किया। इन्होंने पृथ्वीराज की सभा में विपक्षियों को वाद में परास्त किया और युगप्रधान आचार्य हुए। आपका स्वर्गवास सं० १२७७ में पाल्हणपुर में हुआ। आप मरुकोट निवासी नेमिचन्द्र भंडारी के प्रतिबोधकर्ता आचार्य थे। इन्हीं नेमिचन्द्र के पुत्र अंबड (जन्म सं० १२४५ ) को खेड़नगर के शान्तिजिनालय में जिनपति सूरि ने दीक्षित करके उनका नाम वीरप्रभ रखा और ये ही आचार्य पद प्राप्त कर जिनेश्वर सूरि के नाम से प्रसिद्ध हुए। इनका स्वर्गवास सं० १३३१ में हआ। जिनेश्वर सरि की पद प्रतिष्ठा सं० १२७८ में हुई अतः यह रास उसी के आसपास लिखा गया होगा। इस रास में रास लेखक का नाम, रचना का समय, स्थान आदि का विवरण उपलब्ध नहीं है । निम्नांकित पंक्तियों से समय का अनुमान सम्भव हो सकता है-- १. ऐतिहासिक जोन काव्य संग्रह पृ० ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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