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________________ १३२ मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भत्तउ या भत्तु- आपकी रचना 'श्री मज्जिनपति सूरीणां गीतम'' २० द्विपदिकाओं का एक गीत है । इसमें जिनपति सूरि का गुणानुवाद है। सूरि जी का स्वर्गवास सं० १९७७ में हुआ था अतः यह रचना भी उसी के आसपास की होगी। यह गीत ऐतिहासिक जैनकाव्य संग्रह में प्रकाशित है। इसके आदि अन्त के पद्य दिए जा रहे हैं : "तिहुअण तारण सिव सुह कारण वंछिय पूरण कल्पतरो, विधन विणासण पाव पणासन, दुरित तिमिर नर सहस करो।" "लीणउ कमलेहि भमर जिम भत्तउ, पाय कमल पणमिय कहइ, समरइए जे नर नारि निरन्तर तिहांघरे रिघि नवनिहि लहइए ।२०॥ इसमें गीतात्मक लया, अनुप्रास और भाषा का वह सहज प्रवाह दिखाई पड़ता है जो १३वीं शताब्दी की अधिकांश साहित्यिक रचनाओं में सुलभ नहीं है । सूरि जी के जन्म का उल्लेख करता हुआ कवि कहता है "विक्रम संवत्सरे वार दहोत्तरे चैत्र बहुल आठमि पवरे । सलहीय जय नरपति इणि नामिहिं कमि क्रमि वाधइए तातघरे ।१०।" गेयता और काव्यत्व की दृष्टि से यह गीत १३वीं शताब्दी की उत्तम रचनाओं में स्थान पाने का अधिकारी है। संभवतः शोध के पश्चात् इस कवि की अन्य महत्त्वपूर्ण रचनाओं का भी संधान हो सके और विशेष विवरण उपलब्ध हो सके। ___ यशः कीर्ति ( प्रथम )-श्री कामता प्रसाद जैन ने हिन्दी जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास में इन्हें १३वीं शताब्दी का कवि कहा है और इन्हें पाण्डव पुराण के कर्ता १५वीं शताब्दी के यशःकीति से भिन्न बताया है। इनकी रचना का नाम 'जगत्सुन्दरी प्रयोगमाला' बताया है। १३वीं शताब्दी का कवि मानने के पक्ष में कोई निश्चित प्रमाण न प्राप्त हो सकने के कारण यहाँ उनका नामोल्लेख ही करना संभव हो सकता है। अधिक विवरण के लिए उक्त इतिहास देखा जा सकता है। आपकी भाषा का एक नमूना प्रस्तुत है :___णमिऊण पाम भत्ति सज्जणे विमल सुन्दर सहावे । जे णिग्गुणेवि कव्वे इणित्ति दोसाण जयन्ति ।" राम? जैसा कि पहले कहा गया है श्री देसाई ने राम को १३वीं १. श्री अ० च० नाहटा-ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह २. श्री कामता प्रसाद जैन. हि० ज० सा० का सं० इ० पृ० ३० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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