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________________ १२२ मरु-गुर्जर जैन साहित्य का बृहद् इतिहास जीवदया रास की प्रति बीकानेर के खरतरगच्छीय वृद्धज्ञान भंडार से प्राप्त हुई हैं। यह सं० १४२५ की लिखित प्रति है, इस प्रति की खोज में ३५ पद्यों की एक अन्य रचना 'चन्दनबाला रास' जैसलमेर से सं० १४३७ की लिखी एक स्वाध्याय पुस्तिका में प्राप्त हुई। इसमें सती. चन्दन बाला और उसके द्वारा दिया गया भगवान् महावीर को आहारदान का प्रसंग वर्णित है। इसकी रचना जालौर में हुई। चन्दनबालारास राजस्थान भारती भाग ३ अंक ४ में प्रकाशित हो चुकी है। राजस्थान मरुगुर्जर भाषा का संभवतः यह प्रथम श्रावक कवि है । जीवदयारास की रचना. तिथि के सम्बन्ध में निम्नपंक्तियाँ द्रष्टव्य हैं :-- 'संवतु बारहसय सत्तावन्नइ विक्रम कालि गयइ पडिपुनइ । आसोथह सिय सत्तिमिहि हत्थोहत्थिं जिण निप्पायउ। संति सूरि पयभत्त चरियं रचऊ रासु भवियहं मणमोहणु।" भाषा के नमूने की दृष्टि से एक पद्य और उद्धृत किया जा रहा है : "के नर सालि दालि भुजंता, धिय घलहलु मज्झे विलहंता । के नर भूखा दूखियई दीसहि पर घर कम्मु करता। जीवता वि मुया गणिय, अच्छहिं बाहिरि भूमि रुलंता । इसकी भाषा गुलेरी जी द्वारा निर्दिष्ट पुरानी हिन्दी या मरुगुर्जर है । शान्तिनाथ रात की रचना सं० १२५८ में हुई। श्री अ० च० नाहटा जी को इसमें सन्देह है कि यह आसिगु की रचना है अथवा किसी अन्य की है अतः इस पर अलग से विचार किया गया है। इसके लिए जिनेश्वर सरि सम्बन्धी विवरण द्रष्टव्य है। श्रावक जगडू--( १३-१४ वीं) आप खरतरगच्छीय आचार्य श्री जिनेश्वर सूरि के श्रावक शिष्य थे । इनकी एक रचना 'सम्यकत्वमाइचउपइ' प्राचीन गुर्जर काव्य संग्रह भाग १ में प्रकाशित है। यदि ये जिनेश्वर सूरि द्वितीय के शिष्य हों तो उनके स्वर्गवास का समय वि० सं० १३३१ होने के कारण जगड १४वीं शताब्दी के कवि सिद्ध होते हैं। प्राचीन गुर्जर काव्यसंग्रह में भी इस चउपइ का रचनाकाल सं० १३३१ दिया गया है। श्री मो० द० देसाई ने जै० गु० क० भाग १ पृ० ८ पर इसे सं० १३३१ के बाद की रचना बताया है, किन्तु जै० गु० क० भाग ३ पृ० ४०२ पर तिथि में सुधार करके सं० १२७८ के बाद और १३३१ से पूर्व की रचना घोषित किया है और लिखा है कि यह रचना जिनेश्वर सूरि के जीवनकाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002090
Book TitleHindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitikanth Mishr
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1989
Total Pages690
LanguageHindi, MaruGurjar
ClassificationBook_Devnagari, History, & Literature
File Size11 MB
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