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परोक्षप्रमाण
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क्रियाकारी नहीं है। नित्य एकरूप सामान्य न क्रमसे ही अर्थक्रिया ( कार्य) कर सकता है और न एक साथ ही कर सकता है। अतः शब्दका विषय अर्थ नहीं है, किन्तु अन्यापोह है।
अपोहका मतलब है निषेध । उसके दो भेद है-पर्युदास' और प्रसज्य । पर्युदासके भी दो भेद है-बुद्धिरूप और अर्थरूप । जैसे एक सामान्यके बिना भी हरे आदि अनेक औषधियाँ ज्वर आदिके शमनरूप कार्यको करती हैं, वैसे ही शावलेय आदि अर्थ भी परस्परमें भेदके होते हुए भी स्वभावसे ही एकाकार प्रत्यवमर्श के कारण होते हैं। इन अर्थों के अनुभवके बलसे जो सविकल्पक ज्ञान उत्पन्न होता है, उस ज्ञानमें अर्थाकार रूपसे जो अर्थका आभास होता है, उसे अपोह कहते हैं । अब प्रश्न होता है कि उसे अपोह क्यों कहते हैं ? चार कारणोंसे उसे अपोह कहते हैं । प्रथम, विकल्पान्तरवर्ती आकारोंसे भिन्न होकर वह स्वयं प्रतिभासमान होता है अथवा स्वाकारसे इतर आकारोंका उन्मूलन करता है, जिसके द्वारा अन्यका अपोह ( व्यावृत्ति ) किया जाये, या जो अन्यसे अपोहित हो उसे अन्यापोह कहते हैं। वह अन्यापोह शब्दका मुख्य रूपसे अभिधेय (अर्थ) है। शेष तोन कारणोंसे औपचारिक अन्यापोह इस प्रकार है-कारणमें कार्यका आरोप करनेसे, जैसे उक्त अन्यापोहका कार्य इतरसे व्यावृत्त ( भिन्न ) वस्तुकी प्राप्ति है। अतः उसका कारण होनेसे कार्यधर्म अन्य व्यावृत्तिका अपोहरूप कारणमें आरोप किया जाता है। दूसरा, कार्य में कारणधर्मका आरोप-एक प्रत्यवमर्शरूप अन्यापोहका कारण अन्यसे असंसृष्ट स्वलक्षण रूप अर्थ है; क्योंकि उसके निर्विकल्प प्रत्यक्षसे ही उक्त अन्यापोहका जन्म हुआ है। और कारण रूप स्वलक्षणमें अन्य व्यावृत्ति है ही, अतः उस अन्य व्यावृत्तिका कार्यभूत एक प्रत्यवमर्श रूप अन्यापोहमें उपचार किया जाता है। तीसरे, विजातीयसे व्यावृत्त स्व. लक्षणके साथ सविकल्पकमें प्रतिभासमान रूपका एकत्वाध्यवसाय होनेसे उसे अन्यापोह कहा जाता है। यह बुद्धिरूप अन्यापोहका स्वरूप है। और उस बुद्धिरूप अन्यापोहका कारण जो स्वलक्षण है वह अर्थरूप अन्यापोह है; क्योंकि उसमें वह अन्य विजातीयोंसे व्यावृत्त है । यह पर्युदासरूप अपोहका कथन हुआ।
'यह गो, अगौ नहीं है' इस प्रकार केवल इतर व्यावृत्ति ही जो करता है वह प्रसज्य रूप अन्यापोह है। शब्द केवल ऊपर कहे हुए अन्यापोहका ही वाचक है। सारांश यह है कि शाब्दज्ञानमें जो प्रतिभासित हो उसे ही शब्दार्थ
१. तत्त्व सं० ५०, पृ० ३१६ । २. तत्त्व सं०, पं०, पृ० ३१८ ।
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