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प्रमाणके भेद
१३५ किया जाये उसे व्यंजन कहते हैं ( व्यज्यते प्रकटीक्रियतेऽर्थो येन तद् व्यञ्जनम् ) । वह व्यंजन है-उपकरण रूप इन्द्रिय और शब्दादिक रूप परिणत द्रव्यका सम्बन्ध । आशय यह है कि इन्द्रियके दो भेद हैं-द्रव्येन्द्रिय और भावेन्द्रिय । निर्वृत्ति और उपकरणको द्रव्येन्द्रिय कहते हैं । निर्वृत्तिके भी दो भेद हैंअन्तनिवृत्ति और बहिनिर्वृत्ति । श्रोत्र आदि पाँचों इन्द्रियोंकी अंगुलके असंख्यातवें भाग आदि प्रमाणको लेकर, क्रमसे कदम्बके फल के आकार, मसूरके आकार, वीणाके आकार, खुरपेके आकार और शरीराकार रचना होनेको अन्तनिवृत्ति कहते हैं। इस अन्तनिवृत्तिकी जो शक्ति विशेष शब्द आदि विषयोंको जानने में हेतु है वह उपकरणेन्द्रिय है। इस उपकरणेन्द्रिय और शब्द आदि रूप परिणत द्रव्यके सम्बन्धको व्यंजन कहते हैं । यहाँ इतना विशेष जानना कि इन्द्रिय, अर्थ
और दोनोंका सम्बन्ध, ये तोनों ही व्यंजन हैं। इन्द्रियके द्वारा अर्थ व्यज्यमान होता है इस लिए तो इन्द्रियको व्यंजन कहा जाता है। और अर्थ व्यज्यमान है इसलिए उसे भी व्यंजन कहते हैं। अतः इन्द्रिय रूप व्यंजनसे अर्थरूप व्यंजनके अवग्रहका नाम व्यंजनावग्रह है।
शंका-यह व्यंजनावग्रह ज्ञानरूप नहीं है; क्योंकि उपकरण रूपइन्द्रिय और शब्दादि रूप परिणत द्रव्यका सम्बन्ध जिस कालमें होता है उस कालमें ज्ञानका अनुभव नहीं होता। जैसे बहरे मनुष्यों की उपकरण 5प इन्द्रियका शब्दादि विषयोंके साथ सम्बन्ध होनेके समय उन्हें कुछ भी ज्ञान नहीं होता। इसी तरह यहाँ भी जानना चाहिए।
उत्तर-व्यंजनावग्रह अज्ञानरूप नहीं है। क्योंकि व्यंजनावग्रहका अन्त होनेपर उसी व्यंजनावग्रहसे ज्ञानात्मक अर्थावग्रह उत्पन्न होता है। व्यंजनावग्रहमें यद्यपि ज्ञानका अनुभव नहीं होता तथापि वह ज्ञानका कारण होनेसे ज्ञानरूप ही है। किन्तु इसका यह मतलब नहीं है कि व्यं जनावग्रहके काल में ज्ञान ही नहीं है । उस समय भो ज्ञान है किन्तु वह अति अल्प है इसलिए उसका अनुभव नहीं होता। हां, बहरे मनुष्योंको जो शब्दका व्यंजनावग्रह होता है वह तो अज्ञानरूप ही है; क्योंकि वहाँ ज्ञानके कारण ही नहीं है ।
शंका-जब व्यंजनावग्रहके काल में ज्ञान का अनुभव नहीं होता तो उसका अस्तित्व कैसे माना जा सकता है ?
उत्तर-व्यंजनावग्रहका काल असंख्यात समय है और प्रति समय श्रोत्र आदि इन्द्रियों के साथ शब्दादि विषयोंका सम्बन्ध होता रहता है। अब यदि असंख्यात समय तक श्रोत्र आदि इन्द्रियोंके साथ शब्दादि विषयोंका सम्बन्ध होने पर भी
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