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५१८ : मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन
है तब उसकी मुख्यतः प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश - ये पूर्वोक्त चार अवस्थायें होती हैं ।
आत्मा का बहिजगत् के साथ जो संबंध है उसका माध्यम शरीर है और शरीर पुद्गल परमाणुओं का संगठित पुञ्ज है । शरीर और आत्मा दोनों के संयोग से उत्पन्न क्रियात्मक शक्तिरूप सामर्थ्य जनित कम्पन के द्वारा आत्मा और कर्म परमाणुओं का संयोग (आस्रव) होता है और आत्मा के साथ संयुक्त होकर कर्मयोग्य परमाणु कर्म रूप में परिवर्तित हो जाते हैं । इस प्रक्रिया को ही कर्मबंध की प्रक्रिया कहते हैं ।
वस्तुतः रागद्वेष से आविष्ट जीव की प्रत्येक क्रिया के साथ एक प्रकार का द्रव्य (कर्म) आत्मा की ओर आकृष्ट होता है और उसके रागद्वेष रूप परिणामों का निमित्त पाकर आत्मा के साथ बन्ध को प्राप्त होता है और दूध - पानी की तरह उसके साथ घुल-मिल जाता है । कालान्तर में वही द्रव्य आत्मा को अच्छा या बुरा फल मिलने में निमित्त होता है । इस तरह जीव को अपने शुभाशुभ कर्मों के उदय के कारण ही विभिन्न प्रकार के फलों की प्राप्ति होती है । इस प्रकार जैनदर्शन में कर्म केवल एक संस्कार मात्र नहीं है अपितु वह एक वस्तुभूत पदार्थ है, जो जीव की राग-द्वेष रूप क्रिया से आकृष्ट होकर जीव के साथ मिल जाता है । यद्यपि यह एक भौतिक पदार्थ है किन्तु वह जीव के कर्म अर्थात् क्रिया के द्वारा आकृष्ट होकर जीव से बंधता है अतः वह कर्म कहलाता है । कर्म के आठ भेदों का स्वरूप :
१. ज्ञानावरण-जो कर्मवगंणा आत्मा के ज्ञान गुण के सहज स्वरूप को ढकते हैं । सूर्य के प्रकाश को ढकनेवाले बादल की तरह ज्ञानावरण कर्म होता है । यह बड़ा ही शक्तिशाली कर्म है जो आत्मा को जानने में आवरण का कार्य करता है । पाँच प्रकार के ज्ञानों को ढकने के कारण इसके पांच भेद हैं - ( १ ) आभिनिबोधिक (मति ) ज्ञानावरण - इन्द्रिय और मन के द्वारा होने वाले ज्ञान को आवृत्त करने वाला कर्म । ( २ ) श्रुतज्ञानावरण - शब्द और अर्थ की पर्यालोचना से होने वाले ज्ञान का आवरण बनने वाला कर्म । ( ३ ) अवधिज्ञानावरण -- मर्यादा से युक्त ज्ञान का आवरण बनने वाला कर्म । ( ४ ) मन:पर्यय - दूसरे के मन की पर्यायों को साक्षात् जानने वाले ज्ञान को आवृत करने वाला कर्म । (५) केवल-ज्ञानावरणत्रिकालवर्ती समस्त पर्यायों से युक्त समस्त जीवादि वस्तुओं को जानने वाले ज्ञान
१. आभिणिबोहियसुदओही मणपज्जयकेवलाणं च ।
आवरणं णाणाणं णादव्वं सव्वभेदाणं ॥ मूलाचार १२।१८७.
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