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४३८ : मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन
निक्षेपदृष्टि से लोक के नौ भेद किए गये हैं-नाम लोक, स्थापना लोक, द्रव्य लोक, क्षेत्र लोक, चिह्नलोक, कषायलोक, भवलोक, भावलोक और पर्यायलोक ।' १. इस लोक में जो भी शुभाशुभ नाम हैं उसे नामलोक कहते हैं । २. स्थित ( अकृत्रिम ) लोक और स्थापित (कृत्रिम) लोक अर्थात् जो कुछ भी कृत्रिम अकृत्रिम वस्तु इस लोक में है वह स्थापना लोक है । ३. जीव- अजीव, रूपी - अरूपी और सप्रदेशी - अप्रदेशी इन सब द्रव्यों को द्रव्यलोक कहते हैं । जैसे परिणाम, जीव, मूर्त, सप्रदेश, एक क्ष ेत्र, क्रियावत्व, नित्य, कारण, कर्तृत्व, सर्वगतत्व धर्मों से तथा इनसे विपरीत अपरिणामी आदि के द्वारा द्रव्यलोक का निश्चय किया जाता है । ४. आकाश सप्रदेशी है अर्थात् लोकाकाश की अपेक्षा असंख्यात प्रदेशात्मक है तथा आकाश की अपेक्षा अनन्त प्रदेशी है । अतः सप्रदेशी आकाश उर्ध्व, अधो और तिर्यक् (मध्य) लोक को क्ष ेत्रलोक कहा जाता है । ५. द्रव्य, गुण और पर्याय का जो संस्थान (आकार) दिखाई पड़ता है वह चिह्नलोक है । ६. जिस प्राणी में क्रोध, मान, माया और लोभ का उदय हुआ हो उसे कषायलोक कहते हैं । ७. नारक, देव, मनुष्य और तिर्यञ्च इन गतियों में जो प्राणी गये हैं और अपनी-अपनी आयु प्रमाण वहाँ जीवित रहते हैं उन जीवों या उनके भावों को भवलोक कहते हैं । ८. जिस प्राणी को तीव्र राग-द्वेष भावों का उदय होता है उन उदयागत भावों को हो भावलोक कहते हैं । ९. पर्यायलोक के चार भेद हैं - १. द्रव्यगुण, २. क्ष ेत्र पर्याय, ३. भवानुभाव और ४. भाव परिणाम । २
जैसा कि ऊपर कहा है यह लोक अकृत्रिम, अनादिनिधन और स्वभाव निष्पन्न है तथा जीव, पुद्गल आदि छह द्रव्यों से भरा हुआ यह नित्य है । इसका आकार तालवृक्ष के समान है। उत्तर-दक्षिण सर्वत्र सात राजु प्रमाग लम्बा है । बीच में कम होते-होते एक राजुप्रमाण और पुनः विस्तीर्ण होकर ब्रह्मस्वर्ग में पांच राजु विस्तीर्ण ( चौड़ा ) तथा फिर दोनों ओर कम होता हुआ एक राजु प्रमाण है । पूर्व-पश्चिम की ओर देखने से लोक का आकार कटि (कमर ) पर दोनों हाथ रखकर और पैरों को फैलाकर खड़े हुए मनुष्य के समान है । मनुष्याकार इस लोक के बीचोंबीच एक राजु प्रमाण विस्तारयुक्त त्रसनाली
१. णामट्ठवणा दव्वं खेत्तं चिन्हं कसायलोओ य ।
भवलोगो भावलोगो पज्जय लोगो य णादव्वो । मूलाचार ७१४४. २. वही, ७।४५-५४ ।
३. जीवाजीवेहि भुडो णिच्चो तालरुक्खसं ठाणो - वही, ८ २२.
४. मूलाचार वृति ८/२२.
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