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________________ ३. सम्यक् चारित्र सम्यक्चारित्र के भेद १. सामायिक, २. छेदोपस्थापन, ३. परिहारविशुद्धि, ४. सूक्ष्म साम्पराय, ५. यथाख्यात ४ गुणस्थान ५. लेश्या असंयत १. मिथ्यादृष्टि, २. सासादन सम्यग्दृष्टि, ३. मिश्र, ४, ( अविरत ) सम्यग्दृष्टि, ५. देशविरत, ६. प्रमत्तसंयत, ७. अप्रमत्तसंयत, ८. अपूर्वकरण, ९. अनिवृत्तिकरण, १०. सूक्ष्मसाम्पराय, ११. उपशान्त - कषाय, १२. क्षीणमोह, १३. सयोगकेवली, १४. अयोगकेवली, (क) लेश्या का स्वरूप (ख) लेश्या के भेद (ग) वर्ण और रस की अपेक्षा द्रव्यलेश्या के छह भेद (घ) भावलेश्या की दृष्टि से जीव के स्वभाव और विचार (ङ) लेश्या - वृक्ष का उदाहरण (च) जीवों में लेश्या का सद्भाव (छ) लेश्या - विशुद्धि का उपक्रम ६. द्रव्यस्वरूप विमर्श [ १२ ] (क) द्रव्य की परिभाषा (ख) द्रव्य के भेद १. जीवद्रव्य, अजीव द्रव्य अजीव द्रव्य के भेद : रूपी, अरूपी छह द्रव्य २. पुद्गल द्रव्य पुद्गल द्रव्य की पर्यायें १. शब्द, २. बन्ध, ३. सूक्ष्मत्व, ४. स्थूलत्व, ५. संस्थान, ६. भेद, ७. तम, ८. छाया, ९. आतप, १०. उद्योत ३. धर्मद्रव्य ४. अधर्मं द्रव्य Jain Education International For Private & Personal Use Only ४५० ४५२ ४५३-४६२ ४६२-४६८ ४६२ ४६३ ४६४ ४६५ ४६६ ४६६ ४६८ ४६८-४७६ ४६८ ४७० ४७१ ४७१ ४७१ ४७२ ४७२ ४७३ ४७४ ४७५ www.jainelibrary.org
SR No.002088
Book TitleMulachar ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1987
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size23 MB
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