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________________ ४७५ ४७५ ४७६ ४७८ ४७९ ४८० ४८१ ४८१ ४८१ ४८२ ५. आकाश द्रव्य ६. काल द्रव्य (ग) द्रव्य के गुण ७. नव पदार्थ १. जीव स्वरूप विमर्श जीव के भेद : संसारी और मुक्त संसारी जीव के भेद : १. स्थावर जीव १. पृथ्वी : पृथ्वी के छत्तीस भेद २. जल ३. तेजस् ४. वायु ५. वनस्पति (क) प्रत्येक-काय वनस्पति (ख) अनन्त (साधारण) काय वनस्पति (ग) प्रत्येक वनस्पति के दो भेद (घ) मूलबीज आदि दस प्रकार के वनस्पति (ङ) वनस्पति जाति के दो प्रकार १. बीजोद्भव २. सम्मूछिम (च) वनस्पति के वाचक शब्द (छ) बादरकायिक और सूक्ष्मकायिक वनस्पति (ज) वनस्पति काय सम्बन्धी जैन मान्यतायें और आधुनिक विज्ञान २. त्रस जीव एवं उनका स्वरूप प्रस जीवों के उत्पत्ति स्थान ८. निगोद जीव द्रव्य विभाग (चार्ट) जीवों के कुल ९. प्राण (क) स्वरूप, (ख) प्राण के भेद (ग) किन जीवों में कितने प्राण (घ) प्राण और पर्याप्ति १०. आयु : एकेन्द्रिय से पंचेन्द्रिय जीवों की आयु का चार्ट ४८२ ४८३ ४८५ ४८५ ४८६ ४८६ ४८७ ४८८ ४८९ ४९२ ४९३ ४९३ ४९३ ४९४ ४९४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002088
Book TitleMulachar ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1987
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size23 MB
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