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६. उपाध्याय प्रवर्तक ८. स्थविर
७.
९. गणधर
१०. चातुर्वर्ण्य संघ
[ १० ]
(क) ऋषि, (ख) मुनि ( ग ) यति (घ) अनगार
११. अनगार भावना के दस सूत्र
१२. अनगार के पर्यायवाची दस नाम
१३. श्रमण
(क) श्रमण जीवन में वैराग्य की महत्ता (ख) श्रमण के प्रकार
१४. संयत
१५. साधु
१६. वीतराग, भदन्त, दान्त
१७. भिक्षु
१८. योगी
१९. मुण्ड २०. निग्रन्थ
२१. निर्ग्रन्थ के भेद : १. पुलाक, २. बकुश, ३. कुशील, ४. निर्ग्रन्थ, ५. स्नातक
२२. आगन्तुक श्रमण : स्वरूप; उद्देश्य एवं विधि
२३. परगणस्थ श्रमण एवं आचार्य के कर्त्तव्य
२४. आगन्तुक श्रमण की परीक्षा
२५. परगण में आगन्तुक श्रमण के कर्तव्य
२६. पापश्रमण
२७. पापश्रमण के पाँच भेद : १. पार्श्वस्थ, २. कुशील, ३. संसक्त, ४. अवसन्न, ५. मृगचरित्र
२८. कल्प- परिमंथु साघु
२९. श्रमण के उपकरण
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(क) संयमोपकरण ( पिच्छिका ) (ख) शौचोपकरण ( कमण्डलु )
(ग) ज्ञानोपकरण
(घ) अन्य उपकरण
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