________________
२१४
१. धर्मध्यान
२०५ (क) धर्मध्यान के आलम्बन
२०५ (ख) धर्मध्यान के भेद
२०६ १. आज्ञा विचय, २. अपाय विचय,
३. विपाकविचय, ४. संस्थान विचय (ग) संस्थान विचय के चार भेद
२०७ पिण्डस्थ, पदस्थ, रूपस्थ, रूपातीत २. शुक्ल ध्यान
२०७-२१२ शुक्लध्यान के चार भेद
२०८ १. पृथक्त्ववितर्क वीचार, २. एकत्ववितर्क वीचार
३. सूक्ष्मक्रियाप्रतिपाति, ४. समुच्छिन्नक्रिया निवर्ति ६. व्युत्सर्ग तप
२१२ व्युत्सर्ग तप के भेद
२१३ १०. परीषह-क्षमण ( परीषहजय ) परीषह के बाईस भेद
२१५ ११. पञ्चाचार : आचार के भेद
२१७ १. दर्शनाचार : दर्शनाचार के आठ प्रकार
२१७-२२० १. निःशंकित, २. निःकांक्षित, ३. निविचिकित्सा ४. अमूढ़दृष्टि, ५. उफ्गूहन, ६. स्थितिकरण,
७. वात्सल्य, ८. प्रभावना २. ज्ञानाचार : ज्ञानाचार के आठ भेद
२२०-२२२ १. काल, २. विनय, ३. उपध्यान, ४. बहुमान,
५. अनिलव, ६. व्यंजन ७. अर्थ, ८. तदुभय ३. चारित्राचार : अष्ट प्रवचनमाता
२२२ तीन गुप्ति
२२३ ४. तपाचार : तपाचार के भेद
२२३ ५. वीर्याचार : (क) प्राणिसंयम, (ख) इन्द्रियसंयम २२४-२२५ १२. दस धर्म:
२२५-२३० १. क्षान्ति ( क्षमा ), २. मादव, ३. आजव, ४. लाघव, ५. तप, ६. संयम, ७. आकिंचन्य, ८. ब्रह्मचर्य, ९. सत्य, १०. त्याग
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org