SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इंगिनी मरण (छ) प्रायोपगमनमरण २. अवमौदर्य तप: स्वरूप और भेद ३. रसपरित्याग तप ४. वृत्तिपरिसंख्यान तप ५. कायक्लेश तप ९. आभ्यन्तर तप कायक्लेश तप के भेद (क) गमनयोग, (ख) स्थानयोग, (ग) आसनयोग, (घ) शयनयोग, (ङ) अपरिकर्मयोग ६. विविक्तशयनासन तप १. प्रायश्चित्त तप प्रायश्चित्त तप के दस भेद [५] २. विनय तप विनय तप के पाँच भेद ३. वैयावृत्त्य तप (क) वैयावृत्य तप के दस भेद (ख) वैयावृत्त्य के चार कारण ४. स्वाध्याय तप १. आलोचना एवं इसके दस दोष २ प्रतिक्रमण, ३. तदुभय, ४. विवेक, ५. व्युत्सर्ग ६. तप, ७. छेद, ८. मूल, ९. परिहार १०. श्रद्धान. १९० - १९१ ५. ध्यान तप (क) ध्यान के भेद (ख) अप्रशस्त ध्यान (क) स्वाध्याय के पांच भेद (ख) स्वाध्याय में काल एवं दिशा शुद्धि आदि का महत्त्व Jain Education International १. आर्तष्यान आतंध्यान के चार भेद (ग) प्रशस्त ध्यान २. रौद्रध्यान एवं इसके भेद १७५ १७६ १७७-१७८ १७८ १७९ १८०-१८३ For Private & Personal Use Only १८३ १८६-२१३ १८६-१९१ १८७ १८८ १९१ १९२ १९२ १९३ १९६ १९६-२०१ १९७ १९८ २०१ २०१ २०३ २०३ २०४ २०४ - २०५ २०५ 1 www.jainelibrary.org
SR No.002088
Book TitleMulachar ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1987
Total Pages596
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy