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२८२ : मूलाचार का समोक्षात्मक अध्ययन
इस प्रकार श्रमणों का आहार तथा उनकी आहार-चर्या के प्रायः सभी पक्षों पर यहाँ विश्लेषणात्मक विवेचन प्रस्तुत किया गया है । इसके अनुसार मुनि आदि आचरण करके मूलगुणों और उत्तरगुणों आदि का पालन करते हुए जीवननिर्वाह योग्य यथाकृत आहार ग्रहण करते हैं तथा जीवन को संयम, त्याग और तपोमय बनाकर अपने लक्ष्य प्राप्ति में सफल होते हैं।
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