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१२६ : मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन
प्रत्याख्यान के मूलगुण और उत्तरगुण-ये दो भेद हैं । तथा इन दोनों में प्रत्येक के सर्व और देश-ये दो-दो भेद करके सर्वउत्तरगुण के अनागत, अतिक्रान्त आदि दस भेद किये गये हैं। जबकि मूलाचारकार ने प्रत्याख्यान के सर्वप्रथम निक्षेपदृष्टि से नाम, स्थापना आदि छह भेद किये हैं, फिर सीधे ही प्रत्याख्यान के अनागत आदि दस भेद कर दिये हैं। मूलाचार की अपेक्षा आवश्यक नियुक्ति में प्रत्याख्यान के भेद-प्रभेदों का कथन अधिक स्पष्ट है ।। मूलाचार के निखंडित की जगह आवश्यकनियुक्ति दीपिका में नियंत्रित, अध्वानगत की जगह सांकेतित और सहेतुक की जगह अध्वा प्रत्याख्यान का उल्लेख मिलता है।
प्रत्याख्यान के भेदों का चार्ट
प्रत्याख्यान
नाम स्थापना द्रव्य
अदित्सा प्रतिषेध भाव
श्रुत
नोश्रुत
मलगण
उत्तरगुण
सवं
देश
सव
देश
। । । । । अना- अति- कोटि- नि:- साकार अना- परिणामगत अपरि- अध्यान- सहेतुक गत कांत सहित खंडित कार
शेष गत
१. आवश्यक नियुक्ति दीपिका १५५४-१५५५. २. वही १५५८-१५५९. ३. तद्विविधं मूलगुणप्रत्याख्यानमुत्तरगुणप्रत्याख्यानमिति
-भगवती आराधना वि० टी० ११६।२७६।२२. ४. मूलाचार ७१४०-१४१, आवश्यक नियुक्ति दीपिका १५५८-१५५९.
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