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यात्रा एवं आवास सम्बन्धी नियम : ७३
यद्यपि भिक्षु के पातिमोक्ख उपोसथ में भिक्षुणी की उपस्थिति निषिद्ध मानी गयी थी, परन्तु भिक्षुणियों के पातिमोक्ख उपोसथ में भिक्षु की उपस्थिति के सम्बन्ध में इस प्रकार के निषेध का कोई उल्लेख नहीं प्राप्त होता। पातिमोक्ख नियम की वाचना किस प्रकार करनी चाहिएभिक्षणियों को भिक्षओं से सीखने का विधान बनाया गया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि भिक्षुणी के पातिमोक्ख-उपोसथ में भिक्षु उपस्थित हो सकता था।
इसी प्रकार भिक्षुणी भिक्षु के उपोसथ को किसी प्रकार प्रभावित या स्थगित नहीं कर सकती थी, परन्तु भिक्षु को यह अधिकार था कि वह भिक्षुणियों के उपोसथ को स्थगित कर दे । उसका यह कृत्य वैध माना गया था । गृहस्थों आदि की सभा में पातिमोवख-नियमों की वाचना करना निषिद्ध था।
कितनी संख्या में उपस्थित होकर उपोसथ करना चाहिए, इसका उल्लेख भिक्षुओं के सन्दर्भ में प्राप्त होता है। चार या उससे अधिक की संख्या में भिक्षुओं के उपस्थित होने पर ही पातिमोक्ख नियमों की वाचना हो सकती थी, इससे कम की संख्या में भिक्षुओं के उपस्थित होने पर पातिमोक्ख-नियमों की वाचना का विधान नहीं था। इसे संघ उपोसथ कहा जाता था। इसे 'सूत्तुद्देस' उपोसथ भी कहते थे, क्योंकि इसमें सूत्र (नियमों) की वाचना की जाती थी । दो या तीन भिक्षु वाले उपोसथ को गण उपोसथ या पारिसुद्धि उपोसथ कहते थे, क्योंकि इसमें भिक्षु को केवल अपनी शुद्धता बतानी पड़ती थी । अकेला भिक्षु भी (यदि उपोसथ के समय उस सीमा के भीतर अन्य भिक्षु न हों) उपोसथ कर सकता था। उसे पुग्गल उपोसथ या अधिट्ठान उपोसथ कहते थे क्योंकि अकेले भिक्षु को उपोसथ का केवल अधिट्ठान करना होता था। यह सहज ही अनुमान किया जा सकता है कि बौद्ध भिक्षुणियों के सन्दर्भ में भी ये नियम लागू होते रहे होंगे।
हास रहहाग। ___इसके अतिरिक्त बौद्ध संघ में 'सामग्गी उपोसथ' का विधान था। संघ में किसी प्रकार का भेद या कलह उत्पन्न होने पर पूरा संघ उपस्थित
१. चुल्लवग्ग, पृ० ३८०. २. वही, पृ० ३९७. ३. महावग्ग, पृ० ११७. ४. वही, पृ. १२५-१२६. .
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