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________________ यात्रा एवं आवास सम्बन्धी नियम : ७१ स्थान पर इकट्ठा होकर धर्म का उपदेश करने से उन धर्मों के प्रति लोगों में प्रेम तथा श्रद्धा उत्पन्न होती थी तथा उनके अनुयायियों की संख्या में वृद्धि भी होती थी, अतः बौद्ध धर्म में भी कुछ विशिष्ट दिवसों में धर्मोपदेश करने की प्रथा प्रारम्भ की गयी । इस दिन बौद्ध संघ के सदस्य एक स्थान पर उपस्थित होकर धर्म की चर्चा करते थे तथा इसी दिन पातिमोक्ख नियमों की वाचना भी की जाती थी ।' उपोसथ की परम्परा प्रारम्भ होने के समय पातिमोक्ख की वाचना पक्ष में तीन दिन - अष्टमी, चतुर्दशी तथा पूर्णिमा को की जाती थी । परन्तु बाद में पातिमोक्ख नियमों की आवृत्ति उपर्युक्त तीनों दिनों में से केवल एक दिन चतुर्दशी या पूर्णिमा को करना निश्चित की गई | 3 उपोसथ एक भौगोलिक सीमा के भीतर ही होता था तथा उस सीमा के भीतर जितने भी भिक्षु या भिक्षुणी रहते थे, उन्हें उपस्थित होना आवश्यक था । यह सीमा व्यावहारिक थी तथा उपोसथ के स्थान से चारों ओर तीन योजन तक मानी गयी थी, परन्तु उसकी सीमा में यदि ऐसी नदी आ जाय जिसे पार करना कठिन हो, तो वही नदी सीमा मान ली जाती थी । यह सीमा 'अतिदुतियकम्म' के माध्यम से अर्थात् विज्ञप्ति करके ही निश्चित की जाती थी । उपोसथ का अपना एक निश्चित स्थान होता था, जिसे उपोसथागार के नाम से जाना जाता था। संघ की अनुमति लेकर उपोसथ किसी भी विहार, अटारी, प्रासाद या गुफा में हो सकता था । " ञतिदुतियकम्म के माध्यम से ही उपोसथागार निश्चित करने का विधान था । एक सीमा में एक ही उपोसथागार हो सकता था, इससे अधिक नहीं । उपोसथागार में संघ को आमन्त्रित करने के पहले उपोसथ के कुछ पूर्वकार्य (उपोसथस्स पुब्बकरण ) थे, जिन्हें पूर्ण करना आवश्यक होता था । इसमें मुख्य रूप से चार कार्य आते थे । (१) उपोसथागार की सफाई ( सम्मज्जनी), (२) दीपक का प्रबन्ध (पदीप), (३) पानी का प्रबन्ध (उदक) तथा (४) बिछावन (आसन) आदि का प्रबन्ध करना । इसी १. महावग्ग, पृ० १०६. २. वही, पृ० १०५. ३. वही, पृ० १०५. ४. वही, पृ० १०९. ५. वही, पृ० १०९-११०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002086
Book TitleJain aur Bauddh Bhikshuni Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArun Pratap Sinh
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1986
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size11 MB
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