________________
आहार तथा वस्त्र सम्बन्धी नियम : ५९ इसी प्रकार उन्हें औषध रखने के लिए "भेसज्जत्थविक" तथा जूता रखने के लिए "उपाहनत्थविक" आदि का विधान किया गया था । ये व्यावहारिक जीवन में हमेशा प्रयोग की जाने वाली वस्तुएँ थीं। यद्यपि भिक्षुणियों के सन्दर्भ में इन वस्तुओं के रखने के स्पष्ट उल्लेख तो नहीं प्राप्त होते परन्तु भिक्षुणियों को भी इन वस्तुओं को रखने की अनुमति रही होगी, यह सहज अनुमान किया जा सकता है। __ तुलना : दोनों संघों में वस्त्र सम्बन्धी नियमों के विस्तृत उल्लेख प्राप्त होते हैं। जैनसंघ में अचेलकत्व की प्रशंसा की गयी है तथा दिगम्बर सम्प्रदाय के अनुसार बिना अचेलकत्व के मुक्ति प्राप्त नहीं की जा सकतो-तथापि भिक्षणियों के सन्दर्भ में दोनों सम्प्रदाय वस्त्र धारण करने का विधान करते हैं। दिगम्बर सम्प्रदाय में भिक्षुणी को एक वस्त्र धारण करने की अनुमति दी गयी है जबकि श्वेताम्बर ग्रन्थ आचारांग एवं ओघनिर्यक्ति में भिक्षणियों को एक से अधिक वस्त्र धारण करने का विधान किया गया है । बौद्धसंघ में अचेलकत्व का कभी भी अनुमोदन नहीं किया गया। निर्वस्त्र रहने पर भिक्षु को थुल्लच्चय दण्ड का प्रायश्चित्त करना पड़ता था । बौद्ध भिक्षणियों को भिक्षावृत्ति या यात्रा के लिए जाते समय शरीर को पूरी तरह ढंककर जाने का निर्देश दिया गया था । __ दोनों संघों में भिक्षुणियाँ दाता से वस्त्र-याचना के समय विशेष सतर्कता का ध्यान रखती थीं और दाता के मनोभावों का सक्ष्मता से पता लगाकर हो वस्त्र ग्रहण करतो थीं । बौद्धसंघ द्वारा कभी-कभी बड़ी मात्रा में वस्त्र ग्रहण करने के उल्लेख प्राप्त होते हैं। प्राप्त वस्त्र को भिक्षुभिक्षुणियों के मध्य बाँटा जाता था। ऐसे वस्त्र को जो वर्ष में एक बार प्राप्त होता था, "कठिन" कहते थे। इस प्रकार के वस्त्र को वितरित करने के लिए संघ में कुछ पदों का भी निर्माण किया गया था--बौद्ध संघ की यह व्यवस्था जैन संघ में नहीं दिखायी पड़ती। उसमें अपरिग्रह महाव्रत के पालन के लिए आवश्यकता से अधिक वस्त्र रखना भिक्षुभिक्षुणियों दोनों के लिए निषिद्ध था।
दोनों संघों में मूल्यवान वस्त्र को ग्रहण करने का निषेध किया गया है । बेलबूटेदार या सुगन्धित वस्त्र अग्रहणीय था। जैनसंघ में भिक्षुणियों को वस्त्र धोने का निषेध था-इसके विपरीत बौद्धसंघ में वस्त्र धोने तथा उसे पक्के रंग से रंगने की अनुमति थी।
वस्त्र के रंग के सम्बन्ध में दोनों संघों में अन्तर द्रष्टव्य है। जैन भिक्षुणियों को श्वेत वस्त्र धारण करने का विधान था, जबकि बौद्ध भिक्षु
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org