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आहार तथा वस्त्र सम्बन्धी नियम : ४१
पड़ता था। इसी प्रकार संग्रह करके खाद्य-पदार्थ को ग्रहण करना भी निषिद्ध था ।
यदि भोजन आवश्यकता से अधिक प्राप्त हो गया हो तो भोजन को दूसरे भिक्षुणियों के साथ मिलकर खाने का विधान था। परन्तु जहाँ तक भिक्षु-भिक्षुणियों को आपस में भोजन देने का प्रश्न था-इसका निषेध किया गया था। क्योंकि लोगों में इससे असन्तोष फैलता था कि क्या वे स्वयं भिक्षुणियों को भोजन नहीं दे सकते। अतः यह नियम प्रतिपादित किया गया कि भिक्षु-भिक्षुणी के पास यदि आवश्यकता से अधिक भोजन एकत्रित हो जाय तो उसे संघ में दे दें। ___ सामान्य नियमों के अनुसार भिक्षुणियाँ भिक्षु के साथ भोजन नहीं कर सकती थीं। परन्तु चीनी यात्री फाहियान ने भारत आते हुए कुछ बौद्ध भिक्षु-भिक्षुणियों को साथ-साथ भोजन करते हुए देखा था। इससे स्पष्ट है कि बाद में भिक्ष-भिक्षणियों को साथ-साथ भोजन करने की अनुमति मिल गयी थी। भिक्खुनी पाचित्तिय नियम के अनुसार भी भिक्षुणी कुछ विशेष परिस्थितियों में गण (समूह) के साथ भोजन कर सकती थी।
(१) रोगी होने पर (२) चीवर-दान तथा चीवर बनाने के अवसर पर (३) यात्रा के समय (४) नाव पर आरूढ़ होने पर (५) भिक्षु-संघ के भोजन के अवसर पर (६) बुद्ध आदि के दर्शन के लिए जाते समय
भिक्षुणी को किसी पुरुष के साथ एकान्त में अथवा एक ही आसन बैठकर भोजन करना निषिद्ध था। इससे लोगों में जनापवाद फैलने का डर था। प्राप्त भोजन को ग्रहण करने के सम्बन्ध में अनेक नियमों का १. पातिमोक्ख, भिवखुनी पाचित्तिय, १२०. २. वही, १२१. ३. चुल्लवग्ग, पृ० ३९०. ४. Buddhist Records of the Western World, Vol. I. P.
20-21. ५. पातिमोक्ख, भिक्खुनी पाचित्तिय, ११८. ६. वही, १२५-१२६.
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