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भिक्षुणी-संघ का विकास एवं स्थिति : २१५ में भी अपराधिनी नारियाँ दण्ड से बचने के लिए संघ में प्रवेश लेती रही होंगी। ऐसी भिक्षुणियों ने निश्चय ही संघ में शिथिलाचार को बढ़ावा दिया होगा। ____ भिक्षु और भिक्षुणी तथा उपासक और भिक्षुणी के पारस्परिक सम्बन्धों ने भी बौद्ध संघ में शिथिलाचार (अनाचार) को बढ़ावा दिया। भिक्षु मोलिय फग्गुण तथा भिक्षुणियों के गहरे सम्बन्धों के कारण ही बुद्ध ने मोलिय फग्गुण को अपने अन्दर राग का दमन करने का उपदेश दिया था।' इसी प्रकार भिक्षु मल्लपुत्र दब्ब पर भिक्षुणी मेत्रिया के साथ मैथुन करने का आरोप लगाया गया था।२ श्रावस्ती के उदायी भिक्षु तथा एक भिक्षणी के परस्पर निर्वस्त्र बैठने तथा गुप्तांगों को वासनापूर्वक देखने का उल्लेख भी प्राप्त होता है। इसी प्रकार भिक्षुणी सुन्दरीनन्दा तथा उपासक साल्ह मिगारनत्ता के परस्पर संसर्ग का उदाहरण द्रष्टव्य है जिससे सुन्दरीनन्दा गर्भिणी हो गई थी।
बौद्ध भिक्षुणियों की इन आचारिक कमजोरियों के कारण उनके पतन को प्रक्रिया में और तेजी आयी होगी, क्योंकि इससे वे सामान्य जनों की सहानुभूति एवं श्रद्धा खोती जा रही थीं।
इसके अतिरिक्त विहारों की स्थापना के कारण गृहस्थ-उपासकों से उनका सम्बन्ध हटता गया। सातवीं शताब्दी में ही हम देखते हैं कि श्रावस्ती एवं कपिलवस्तु जैसे प्रसिद्ध स्थलों के विहार नष्ट हो चुके थे। विहारों के पतन के साथ ही बौद्ध धर्म भी पतन को प्राप्त हो रहा था । १२वीं शताब्दी ईस्वी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण तथा नालन्दा महाविहार के नष्ट-भ्रष्ट कर दिये जाने के पश्चात् बौद्ध धर्म पुनः विकसित न हो सका।
इस प्रकार हम देखते हैं कि भारतवर्ष से बौद्ध धर्म लगभग १२वीं शताब्दी ईस्वी में समाप्त प्रायः हो गया। किन्तु इसके पूर्व ही बौद्ध भिक्षुणी-संघ का अस्तित्व लुप्त हो चुका था। ___ जैन भिक्षुणी-संघ बौद्ध भिक्षुणी-संघ की अपेक्षा प्राचीनतर था । यद्यपि इन दोनों धर्मों का प्रचार एवं प्रसार साथ-साथ ही हुआ था। फिर भी १. मज्झिम निकाय, १/४४ । २. पाराजिक पालि, पृ० २५० । ३. वही, पृ० २९९ । ४. पाचित्तिय पालि, पृ० २८४, २८९ ।
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