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संगठनात्मक व्यवस्था एवं दण्ड-प्रक्रिया : १५७
जो भिक्षुणी १२ वर्ष की विवाहिता को दो वर्ष तक षड्धर्मों की शिक्षा देकर संघ की सम्मति के बिना भिक्षुणी बनाये । जो भिक्षुणी शिष्या को उपसम्पदा देकर दो वर्ष तक सहायता न करे। जो भिक्षुणी उपसम्पदा प्राप्त भिक्षुणी को दो वर्ष तक साथ न रखे । जो भिक्षुणो शिष्या को भिक्षुणी बनाकर ५-६ योजन भ्रमण न कराये । जो भिक्षुणी २० वर्ष से कम की कुमारी को भिक्षुणी बनाये। जो भिक्षणी २० वर्ष की कुमारी को दो वर्ष तक षड्धर्मों की शिक्षा दिये बिना भिक्षुणी बनाये। जो भिक्षुणी २० वर्ष की कुमारी को दो वर्ष तक षड्धर्मों की शिक्षा देने के पश्चात् संघ की सम्मति के बिना भिक्षुणी बनाये। १२ वर्ष से कम उपसम्पन्न भिक्षुणी यदि किसी को भिक्षुणी बनाये। १२ वर्ष की उपसम्पन्न भिक्षणी संघ की सम्मति के बिना किसी को भिक्षुणो बनाये। जो भिक्षणी “आर्ये ! इसे भिक्षुणी मत बनाओ" कहे जाने पर इसे स्वीकार कर पीछे क्रोधित हो । जो भिक्षुणी शिक्षमाणा को चीवर की प्रत्याशा से भिक्षुणी बनाये । जो भिक्षुणी शिक्षमाणा को उपसम्पदा देने का आश्वासन देकर फिर उपसम्पदा न दे। जो भिक्षुणी क्रोधी, दुःखदायी शिक्षमाणा को भिक्षुणी बनाये। जो भिक्षुणी संरक्षक की आज्ञा के बिना ही शिक्षमाणा को भिक्षुणी बनाये ।
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