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________________ ८८: जैन और बौद्ध भिक्षुणी-संघ (५) जं किंचि मिच्छा-जो मिथ्या आचरण हुआ हो, उसका प्रतिक्रमण करना। (६) सोमणंतिय-स्वप्न में हुए दोषों का प्रतिक्रमण करना । प्रतिक्रमण के पश्चात् विशद्ध होकर गुरु की वन्दना की जाती थी। उसके पश्चात् कायोत्सर्ग करने का विधान था ।' (५) कायोत्सर्ग-कायोत्सर्ग जैन भिक्षणी की दिनचर्या का अंग था। कायोत्सर्ग को सब दुःखों से मुक्त करने वाला कहा गया है। इसका मुख्य ध्येय शरीर को स्थिर रखकर एकाग्रचित्त से अपने दोषों का चिन्तन करना था । कायोत्सर्ग का अर्थ देह के प्रति ममत्व का त्याग करना या देहभाव से ऊपर उठना था। चोलपट्टग को जानु (घुटनों) के चार अंगुल ऊपर रखकर (चतुर्भिरङ्ग लैर्जानुनोरुपरि) तथा नाभि के चार अंगुल नीचे रखकर (नाभेश्चाधश्चतुभिरङ्गुलै), पैरों के बीच में चार अंगुल की दूरी रखकर, मुखवस्त्रिका को दाहिने हाथ में पकड़कर तथा रजोहरण को बाएँ हाथ में पकड़कर, बाहों को नीचे फैलाकर, स्थिरतापूर्वक कायोत्सर्ग करने का विधान था । कार्योत्सर्ग किसी भी अवस्था में खण्डित नहीं होना चाहिए-भले ही कायोत्सर्ग करते हुए सर्प डॅस ले (साधुपद्रवेऽपि) अथवा अलौकिक शक्तियाँ विघ्न डालें (दिव्योपसर्गेष्वपि)।' कायोत्सर्ग को समाप्त कर गुरु को वन्दना करने तथा यथोचित तप स्वीकार कर सिद्धों की स्तुति (सिद्धाणसंथव) करने का विधान था। (६) प्रत्याख्यान-सांसारिक विषयों का त्याग ही प्रत्याख्यान कहा जाता था। प्रत्याख्यान द्वारा नित्य के आहारादि में विशिष्ट पदार्थ का विशिष्ट समय के लिए त्याग किया जाता था। यह विश्वास किया गया था कि इससे इच्छाओं का निरोध होता है और संयम की वृद्धि होती है। प्रतिलेखन वस्त्र, पात्र आदि उपकरणों का सम्यक् प्रकार से परिमार्जन करना ही प्रतिलेखन कहा जाता है। यह इसलिए आवश्यक था ताकि उपकरणों में रहे हुए किसी जीव-जन्तु की किसी भी प्रकार की हिंसा न हो । १. उत्तराध्ययन, २६/४२. २. “कायवोस्सग्गे सम्बदुक्सविमोक्खणे" वही, २६/४७. ३. ओघनियुक्ति, ५१२-१४. ४. उत्तराध्ययन, २६/५२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002086
Book TitleJain aur Bauddh Bhikshuni Sangh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArun Pratap Sinh
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1986
Total Pages282
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Principle
File Size11 MB
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