________________
यात्रा एवं आवास सम्बन्धी नियम : ८५ तुलना-इस प्रकार हम देखते हैं कि वर्षाकाल की असुविधाओं से बचने के लिए तथा भिक्षणियों की सुरक्षा के लिए प्रारम्भ से ही दोनों संघों में विहार निर्मित होने लगे थे। जैन भिक्षु-भिक्षुणियों को यद्यपि उद्देश्यपूर्वक निर्मित भवन या उपाश्रय में रहना निषिद्ध था, परन्तु यहाँ हम इन नियमों का अपवाद देखते हैं। यह अवश्य है कि बौद्ध भिक्षुणियों के लिए श्रावस्ती के राजकाराम भिक्षुणी-विहार जैसे विशिष्ट विहार निर्मित हुए थे, परन्तु जैन भिक्षुणियों के लिए इस प्रकार के किसी विशिष्ट विहार का उल्लेख नहीं प्राप्त होता। इसी प्रकार किसी जैन साहित्यिक तथा आभिलेखिक साक्ष्य में किसी भिक्षुणी को "नवकम्मक" अथवा बिहारस्वामिनी" नहीं कहा गया है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org