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यात्रा एवं आवास सम्बन्धी नियम : ४३ एक निश्रय के अनुसार उन्हें वृक्ष के नीचे निवास करना था। भिक्षुणियों के लिए इस निश्रय का विधान नहीं था। उन्हें वृक्ष के नीचे या जंगल में रहने की अनुमति नहीं थी, क्योंकि भिक्षुणी के अकेले रहने या जंगल में रहने पर शील-अपहरण का भय उपस्थित हो सकता था। इससे प्रकट होता है कि संघ में भिक्षुणियों के प्रवेश के अनन्तर उनकी सुरक्षादि की दृष्टि से उनके लिए विहार की व्यवस्था स्वीकार कर ली गई । भिक्षु. गियों को विहार-निर्माण करने की अनुमति बुद्ध ने स्वयं दी थी । भिक्षुणियाँ स्वयं भी विहार-निर्माण का कार्य कर सकती थीं। ३ श्रावस्ती में राजकाराम नामक प्रसिद्ध भिक्षुणी-विहार था, जिसका उल्लेख बौद्ध ग्रन्थों में अनेक बार आया है। विहार में अनेक कमरे होते थे। इन कमरों को "परिवेण" कहा जाता था । श्रावस्ती के एक भिक्षुणी-विहार में भिक्षुणी काली के एक व्यक्तिगत कमरे का उल्लेख है। सिंहली ग्रन्थों से भी तृतीय शताब्दी ईसा पूर्व में भिक्षुणियों के लिए निर्मित विहारों का उल्लेख प्राप्त होता है । भिक्षुणी संघमित्ता के ठहरने के लिए देवानांपियतिस्स ने हत्थाल्हक विहार बनवाया था। उसे हत्थाल्हक विहार इसलिए कहते. 'थे, क्योंकि उसके समीप ही हाथी बाँधने का स्थान था । थेरी संघमित्ता के लंका पहुँचने पर सर्वप्रथम उपासिका-विहार में ठहरने का उल्लेख है।' यहाँ १२ भवन बनाये गये थे। बौद्ध धर्म के अन्य निकायों के अस्तित्व में आने पर भी यह हत्थाल्हक विहार उन्हीं भिक्षुणियों के हो अधीन रहा। ... कभी-कभी बौद्ध भिक्षुणी-विहारों के समीप अन्य धर्मावलम्बियों के भी आवासों का उल्लेख प्राप्त होता है। श्रावस्ती के एक बौद्ध भिक्षुणी-विहार के समीप जैन भिक्षुओं के निवास का उल्लेख मिलता है। इन दोनों विहारों के मध्य में एक दीवाल (कन्था) थी, जिसके गिर जाने पर बौद्ध भिक्षुणियों तथा जैन भिक्षुओं के मध्य कटुवादाविवाद हुआ था।
१. "रूक्खमूलेसेनासनं" महावग्ग, पृ० ५५.... २. चुल्लवग्ग, पृ० ३९९. ३. वही, पृ० ३९९. ४. आर्याए कालीए परिषेणम्, भिक्षुणी विनय $१५८. . ५. महावंस, १९/८२-८३. ६. वही, १९/६८-७१. . ७. भिक्षुणी विनय, ६१३९.
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