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________________ संस्कृत जैन कृष्ण साहित्य .. ७५ नेमिनाथ-जिनेश्वर नेमिनाथ काव्य के नायक हैं। वे देवोचित विभूति तथा शक्ति से सम्पन्न हैं । उनके धरा पर अवतरित होते ही समुद्रविजय के समस्त शत्रु निस्तेज हो जाते हैं। दिक्कुमारियां उनका सूति . म करती हैं। जन्माभिषेक करने स्वयं सुरपति इन्द्र आते हैं । नेमिनाथ का चरित्र विरक्ति के केंद्र बिंदु पर घूमता है । वे वीतराग नायक हैं । यौवनावस्था में भी वैराग्य रंग में रंगे रहते हैं । उनका मन्तव्य है कि वास्तविक सुख ब्रह्मलोक में ही विद्यमान है हितं धमौषधं हित्वः मूढ़ा कामज्वरादिताः । मुखप्रियमपथ्यं तुं सेवन्ते ललनौषधम् ।। उनकी साधना की परिणति मोक्ष-प्राप्ति में होती है । अदम्य कामशत्रु को पराजित करना, उनकी धीरोदात्तता की प्रतिष्ठा है। ___समुद्रविजय - यदुपति समुद्रविजय कथानायक के पिताश्री हैं । आप में सम्पूर्ण राजोचित गुण विद्यमान हैं । समुद्रविजय तेजस्वी शासक हैं । उनके बन्दी के शब्दों में अग्नि तथा सूर्य का तेज भले ही शांत हो जाए किन्तु उनका पराक्रम अप्रतिहत है। ... विध्यायतेऽम्भसा वन्हिः, सूर्योऽब्देन पिधीयते । । न केनापि परं राजंस्त्वत्तेजः परिहीयते ॥ उनका राज्य पाशविक बल पर आधारित नहीं है । समुद्रविजय पुत्रवत्सल पिता हैं । ये अत्यन्त धार्मिक व्यक्ति हैं। आर्हत धर्म उन्हें पुत्र, पत्नी, राज्य तथा प्राणों से भी अधिक प्रिय है। राजीमती-राजीमती काव्य की सती नायिका है। शील-सम्पन्ना व रूपवती है। नेमिनाथ की पत्नी बनने का सौभाग्य मिला था पर विधि के विधान ने परिवर्तन ला दिया। वह संसार मार्ग को छोड़कर मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर होती है। केवलज्ञानी नेमिप्रभु से पूर्व परमपद पाकर अदभत सौभाग्य प्राप्त करती है। उग्रसेन-भोजपुत्र उग्रसेन का चरित्र भी मानवीय गुणों से ओतप्रोत है । लक्ष्मी तथा सरस्वती दोनों उसके सहयोगिनी हैं । विपक्षी नृपगण उनके तेज से भयभीत होकर कन्याओं के उपहारों से उनका रोष शान्त. करते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
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