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________________ संस्कृत जैन कृष्ण साहित्य तिलका, मंदाक्रांता, रथोद्धता, स्रग्धरा, मालिनी, शिखरिणी, द्रविलम्बित, आर्या, ललिता, और अनुष्टुप् आदि । कवि को छन्दों की अच्छी जानकारी है और उनका योग्यरीति से प्रयोग किया है। यह बात कवि स्वयं अन्य कवियों का आश्रयदाता और प्ररक व प्रशंसक था, इस ऐतिहासिक तथ्य से और उसके राजा होने से स्वयं प्रमाणित है। नेमिनाथ महाकाव्यम् जैन कवियों द्वारा रचित महाका व्यों की श्रृंखला में कविवर कीर्तिरत्नसूरि रचित नेमिनाथ महाकाव्यम् का भी अपना महत्वपूर्ण स्थान है । इसमें जैन धर्म के २२वें तीर्थंकर प्रभु नेमिनाथ का प्रेरक चरित्र महाकाव्योचित विस्तार के साथ १२ सर्गों में प्रस्तुत किया गया है। काव्य में भाव पक्ष व कलापक्ष दोनों का सुमेल यत्र-तत्र विद्यमान है। महाकाव्यत्व-महाकाव्य के जो मापदंड निश्चित किए हैं तदनुसार कवि ने पालन किए हैं, इसमें शृगार रस को अंगीरस के रूप में स्वीकारा गया है। क्षत्रिय कुल प्रसूत देवतुल्य नेमिनाथ इसके धीरोदात्त नायक हैं, धर्म व मोक्ष प्राप्ति हेतु इसका उद्देश्य है । इसमें जैन पुराण का मुख्य आधार है। प्रथम सर्ग में शिवादेवी के गर्भ में जिनेश्वर के अवतरित होने में मुख सन्धि है। इसमें काव्य के फलागम का बीज निहित है। उसके प्रति पाठक को उत्सकता जागत होती है। द्वितीय सर्ग में स्वप्न दर्शन से लेकर ततीय सर्ग में पून जन्म तक प्रतिमुख सन्धि स्वीकार की जा सकती है। चतुर्थ से अष्टम सर्ग तक गर्भसन्धि की योजना की गई है। नवें ने ग्यारहवें सर्ग तक एक ओर नेमिनाथ द्वारा विवाह प्रस्ताव स्वीकार कर लेने से मुख्य फल की प्राप्ति में बाधा उपस्थित होती है, किन्तु दूसरी ओर पशु रुदन सनकर दीक्षा ग्रहण करने से फल प्राप्ति निश्चित हो जाती है। यहां विमर्श सन्धि का निर्वाह हुआ है । ग्यारवें सर्ग के अन्त में केवलज्ञान तथा बारहवें सर्ग में शिवत्व प्राप्त करने के वर्णन में निर्वहण सन्धि विद्यमान है। महाकाव्य के लक्षणानुसार नगर, पर्वत, वन, दूतप्रेषण, सैन्यप्रयाण, युद्ध, पुत्रजन्म, षड़ऋतु आदि के विस्तृत वर्णन पाये जाते हैं । इसमें आरंभ नमस्कारात्मक मंगलाचरण से किया गया है। भाषा-शैली में उदात्तता है । अन्तिम सर्ग के एक अश मैं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
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