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________________ ६४ जैन परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य मन्दिर की प्रशस्ति में सोमेश्वर उसे सर्वश्रेष्ठ कवि कहता है 148 राजशेखर सरि ने उसे सरस्वती कण्ठाभरण कहा है।49 कवि होने से उसके आश्रय लेने वाले कवियों का एक विद्यामण्डल था, जिसमें राजपुरोहित सोमेश्वर, हरिहर, नानाक पण्डित, मदन सुभट, अरिसिंह और मंत्री यशोवीर थे।50 इनके अतिरिक्त वस्तुपाल के संपर्क में अनेक जैन कवि और पण्डित आए थे। उनमें अमरचन्द्र सूरि, विजयसेन सूरि, उदयप्रभ सूरि, नरचन्द्र सूरि, नरेन्द्रप्रभ सूरि, बालचन्द्र सूरि आदि हैं । इस अमात्य ने अहिलवाड़, स्तम्भ तीर्थ और भृगुकच्छ में पुस्तक भंडार भी स्यापन किए थे । वसन्तपाल यह उपनाम वस्तुपाल को हरिहर, सोमेश्वर और अन्य कवियां ने प्रदान किया था। वस्तुपाल का जन्म अणहिलवाड के शिक्षित परिवार में हुआ था। उसके पिता का नाम आसराज या अश्वराज और माता का नाम कुमारदेवी था। कवि के गुरु विजयसेन सूरि थे। वस्तुपाल जब मंत्री बने तो उन्होंने शत्रुजय और गिरनार के लिए सन् १२२१, १२३४, ३५, ३६, ३७ में यात्रा-संघ के द्वारा यात्राएं करायी थीं। सन् १२४० में वह शत्रुजय की अन्तिम यात्रा के लिए निकला था पर मार्ग में ही उसका निधन हो गया । फलतः यात्रा अधूरी रह गयी 151 सन् १२३२ में वस्तुपाल ने गिरनार में जैन मंदिरों का निर्माण कराया। आब का मंदिर देलवाड़ा के मन्दिरों के बीच में है। इसे वस्तुपाल के बड़े भ्राता लूणिग की स्मृति में बनवाया गया था। सन् १२२१ के बाद नरनारायणानंद महाकाव्य की रचना हुई है । - ४८. प्राचीन जैन शिलालेख संग्रह, भाग २, सं० मुनि जिनविजय सन् १९२१, लेख सं० ६५ । ४६. प्रबन्धकोश के अन्तर्गत बस्तुपाल प्रबन्ध, सं० मुनि जिनविजय अहमदाबाद तथा "सरस्वतीकण्ठाभरण-लघु भोजराज-महाकवि महामात्य-श्रीवस्तुपालेन-" प्रबन्धचिन्तामणि, सिंधी जैन विद्यापीठ, सन् १९३३, पृ० १०० । ५०. वस्तुपाल का विद्यामण्डल, भोगीलाल सांडेसरा, ५० जैन कल्चरल रिसर्च सोसायटी बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी, पत्रिका नं० १६, पृ० ३ ५१. महामात्य वस्तुपाल का साहित्य मण्डल-भोगीलाल सांडेसरा, वाराणसी सन् १६४६, पृ० ४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
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