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प्राकृत जैन आगम श्रीकृष्ण साहित्य
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श्वेतांबर मूर्तिपूजक इनमें से ४५ आगमों को व श्वेतांबर स्थानकवासी ३२ च तेरापंथी ३२ आगमों को मान्य करते हैं, जो निम्न हैं
श्वेतांबर मूर्तिपूजक इनको मानते हैं - ११ अंग, १२ उपांग, ४ मूल, ६ छेदसूत्र, १० प्रकीर्णक, २ चूलिकासूत्र कुल ४५ हैं ।
श्वेतांबर स्थानकवासी व तेरापंथी नीचे दिये आगम मानते हैं११ अंग, १२ उपांग, ४ मूल, ४ छेद, १ आवश्यक कुल ३२ हैं ।
इन आगमों में से श्रीकृष्ण चरित्र की दृष्टि से निम्नलिखित ७ सूत्रों का प्रमुख स्थान है : - (१) स्थानांग, (२) समवायांग, (३) ज्ञाताधर्म कथा, (४) अन्तकृद्दशा, (५) प्रश्न- व्याकरण, (६) निरयावलिका, (७) उत्तरा
ध्ययन |
आगमों में श्रीकृष्ण के चरित्र की दृष्टि से निम्नोक्त आगमों का प्रमुख स्थान है
(१) स्थानांग
स्थानांग सूत्र के आठवें अध्याय में श्रीकृष्ण संबंधी प्रसंग वर्णित है । इस अध्याय में श्रीकृष्ण की आठों पटरानियों का अर्थात् अग्रमहिषियों का परिचय दिया गया है । इन अग्रमहिषियों के नाम यहाँ पर दिए गए हैंपद्मावती, गौरी, लक्ष्मणा, सुसीमा, जाम्बवती, सत्यभामा, गांधारी और रुक्मिणी । 14
(२) समवायांग
इस चतुर्थ सूत्र में ५४ उत्तम पुरुषों का वर्णन है । इन श्लाघनीय शलाका पुरुषों में श्रीकृष्ण का विस्तृत वर्णन किया गया है । वासुदेव के रूप में प्रतिष्ठित श्रीकृष्ण द्वारा तत्कालीन प्रतिवासुदेव जरासंध के वध का
१४. कण्हस्स णं वासुदेवस्स अट्ठ अग्गमहिसिओ अरहो णं अरिट्ठनेमिस्स अंतिए मुंडा भवेत्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया सिद्धाओ - जाव सव्वदुक्खपहीणाओ तं जहा - परमावइ, गौरी, गंधारी, लक्खणा, सुसीमा, जंबवई, सच्चभामा, रुप्पिणी, sugअग्ग महिसिओ |
- स्थानांग अ० ८ सूत्र ६२६, पृ० ३८७, संपादक - पूज्य कन्हैय्यालालजी कमल, आगम अनुयोग प्रकाशन, साण्डेराव (राज०) अक्टूबर १९७२ ।
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