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जैन-परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य में समर्थ रही हैं। वैदिक, जैन, बौद्ध, आदि धर्म-परंपराओं ने भी अपनेअपने आदर्शों व सिद्धान्तों की व्याख्या दी और श्रीकृष्ण के जीवन-चरित्र का अपने-अपने ढंग से उपयोग किया है, उससे श्रीकृष्ण चरित स्वयं ही और अधिक व्यापक हो गया है । हिंदी साहित्य का इतिहास तो श्रीकृष्ण युक्त है हो । विशेष रूप से भक्ति काल तो श्रीकृष्ण चरित की अमूल्य निधि से धन्य ही हो उठा है। रीतिकाल घोर लौकिकता के लिए विख्यात है ही। इस काल में भो श्रीकृष्ण को जितना अपनापन मिला है, उससे स्पष्ट हो जाता है कि श्रीकृष्ण लोक-जीवन में कितने घुले मिले हुए हैं और उनका चरित्र कितना अधिक लोकप्रिय है।
जैन साहित्य तो विशेषतः श्रीकृष्ण चरित की दष्टि से बडा ही समद्ध है। एक दीर्घ-परंपरा हमें जैन वाङ्मय में ऐसी मिलती है जिसमें श्रीकृष्ण चरित को प्रतिपाद्य विषय के रूप में स्वीकार किया गया है। जैन आगमों में भी इस कथा को महत्वपूर्ण स्थान मिला है और आगमेतर ग्रंथों में भी।
जैन परंपरा में सर्व प्रथम आगमों में ही श्रीकृष्ण चरित वणित मिलता है । जैन कृष्ण साहित्य के इस प्राचीनतम रूप के अस्तित्व में आने और इसके विकसित होने का अपना एक निराला ही ढंग रहा है । वस्तुतः जैन आगमों में-अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीर की वाणी का संकलन है । भगवान् अपने विचारों को सामान्य जन के समक्ष लोक-प्रचलित इतिवृत्तों और आख्यायिकाओं और कथानकों के माध्यम से स्पष्ट करने का प्रभावी प्रयत्न किया करते थे। इस क्रम में विभिन्न सिद्धांतों की समुचित व्याख्या एवं पुष्टि के प्रयोजन से उन्होंने श्रीकृष्ण जीवन की विविध घटनाओं का उपयोग भी उक्त प्रयोजन से किया। स्पष्ट है कि भ० महावीर से पूर्व भी श्रीकृष्ण चरित का लोक में किसी-न-किसी रूप में प्रचलन रहा, तभी भगवान उसका उपयोग कर सके और उसे उन्होंने उपयोग के योग्य भी समझा। योग्य से अर्थ यह कि भगवान महावीर ने अनुभव किया कि श्रीकृष्ण चरित को लोक-मानस द्वारा इतना हृदयंगम किया जा चुका है कि मैं अपने सिद्धांतों के प्रतिपादन एवं स्पष्टीकरण के हेतु यदि इसका उपयोग करूं तो मेरे प्रयोजन की सफलता में यह एक उत्तम साधन सिद्ध हो सकता है। यह उल्लेखनीय है कि भगवान का निर्वाण ईसा से ५२७ वर्ष पूर्व हुआ था। इस तथ्य से यह भली-भांति विदित होता है कि कृष्ण कथा का प्रचलन अत्यंत प्राचीन काल से है । जैन श्रीकृष्ण कथा का अपना आगम
आगम ग्रंथों में धर्म सिद्धातों का निरूपण हुआ है । जब जिस सिद्धांत
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