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हिंदी जैन श्रीकृष्ण मुक्तक साहित्य
गोकुल पहुंचे गिरधारी, जगत में...
यशोदा के हाथ जाय दीनो, प्रेम से गिरधर को लीनो, नन्दजी महोत्सव खूब कीनो, दान बहु याचक को दीनो । दोहा : आए मथुरा में निज घरे, वसुदेव जी चाल ।
दिन-दिन बीज कला ज्यों बढ़ता, आनद में नंदलाल । कोई नहीं जाने नर-नारी, जगत में...
कृष्ण दिन-दिन भैया मोटा, हाथ में दण्ड लिया छोटा । ग्वाल संग रमे दही होटा, शत्रु के हुआ जेम सोटा । दोहा : सोलह वर्ष गोकुल विषे, लीला करी अनेक |
तीन खण्ड का नाथ हुआ तो, पूरब पुण्य तो देख । जगत वल्लभ कहे नरनारी, जगत में ...
दलाल्यां धर्म तिणि कीनि, शास्त्र में साख देख लीनि । दोहा : महामुनि नन्दलालजी, तस्य शिष्य कहे एम ।
पुण्यप्रताप वछित फल पावे, रखो धर्म का नेम । मांगलगढ़ जोड़ करी त्यारी, जगत में महिमा... 37
(१४) नेमिनाथ और राजुल - कविवर नेमिचंद जो म०
(राग --- कुवरां साधु तणो आचार)
इम किम छोड़ी नेमकुमार राणी राजुल रा भरतार ||टेर || छप्पन करोड़ प्रभु जान बणाई, आया हर्ष अपार । तोरण थी रथ पाछो फेर्यो, दया धर्म दिलदार ॥ १
पशुअन की प्रभु पीड़ा देखी, मारी नहीं सुणी रे पुकार, बन्द किणी विलमाया थाने, पाछा वल्या इण वार । इम. । २
जो था वालम नहीं परणणो तो, पेली करता विचार । तेल चढ़ी हमने छिटकाई, किम निकले जमार । इम. । ३
थारे प्रीतम या हीज करणी तो, फेरा फिरता चार । हूं पण संजम साथ लेती, नहीं करती मनवार । इम । ४ हंस रही म्हारे सासरिया री, नहीं देख्यो घर बार । नेणां सुं परनाला बरसे, झुर रही राजुल नार । इम. । ५
३७. कृष्ण लावणी
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