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________________ २४२ जैन-परम्परा में श्रीकृष्ण साहित्य सहेल्या सब ही विलखाणी, नेमजी की... त्याग्या सब सोलह सिंणगारा, आभूषण रत्नजड़ित सारा, लगे मोहे सब ही सुख भारा, छोड़कर चाली निरधारा। दोहा : मातपिता परिवार को, तजता न लागी वार । वियोग कर चली आपसं, जाय चढ़ी गिरनार, झूमती छोड़ी मां प्यारी, नेमजी की... दया जब पशुअनकी आई, त्याग जब दीनों छिन मांई । नेमजी गिरनारे जाई, पशु के बंधन छुड़वाई। . दोहा : नेम राजुल गिरनार पे, लीनो संजम धार । लवणराम करी लावणी, उपन्यो केवलज्ञान । जिन्हों की क्रिया बड़ी प्यारी, नेमजी की जान... (१३) कृष्ण लावणी पुरुषोत्तम प्रगट्या अवतारी, जगत में महिमा विस्तारी। टेर । देवकी को नंदन है नीको, हुओ जादव कुल में टीको, भादवा वदी अष्टमी को, जनम जब हुओ हरिजी को। दोहा : तिन अवसर वसुदेवजी, मन का सोध मिटाय ।। कोमल कर में लेय कान्ह को, जावे गोकुल मांय । भवन से आय उतर हेटा, द्वार के ताला जड्या सेंठा । कंस का पहरा बाहर बैठा, निकल जाने का नहीं रास्ता। दोहा : चरण अंगुल लगावियो, गोविंद को तिण वार ।। खड़-खड़ ताला टूट पङ्या, कोई सड़ सड़ खुल्यो द्वार । अखण्डित निकल गए बाहरी, जगत में .. अंधेरी रात घटा छाई, जोर से गाजे गगन मांई । चमकती बिजल्यां दर्शाई, वायरी बाजे जोश खाई... दोहा : अति उमंग आकाश से, पड़ रही जल की धार । सहस्र नाग छांया कर दीनि, पड़े न बूंद लगार। जिन्हों का पुण्य बड़ा भारी, जगत में महिमा... निकल मथुरा से गोकुल धावे, अपट जमुनाजी पुर जावे । निकलवा मारग नहीं पावे, विविध मिसतल मन में ठावे । दोहा : पग फरस्यो गउपाल को, जमुना हुई दो भाग । वसुदेवजी तुरन्त निकल गये, हुलस्यो हियो अथाग । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
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