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जैन परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य हैं वे अधिकतम ऐसे हैं जो इस ध्येय पथ पर अग्रसर हुए हैं और उसे प्राप्त कर चुके हैं।
विषय अति व्यापक है और निश्चय ही शोधकार्य के अनुकूल भी। अतएव इसके सर्व संभावित पक्षों को पूर्णतः व्यवस्थित कर पाना एक कठिन कार्य है। सारे जैन स्रोतों का आश्रय लेते हुए उन्हें स्वीकार किया गया है। जैन साहित्य में श्रीकृष्ण चरित का एक सर्वपक्षीय चित्र प्रस्तुत करने का प्रयत्न यहाँ पर किया गया है। प्रस्तत शोध प्रबंध जैन जैनेतर सभी के लिए विशिष्ट लाभकारी प्रतीत होगा इसी में शोधकार्य का साफल्य भी निर्भर है, ऐसी मेरी विनम्र धारणा है।
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