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विषय की शोधानुकूलता और भूमिका
तृतीय अध्याय में मैंने प्राकृत आगमेतर श्रीकृष्ण साहित्य को परखा और समझा है तथा अपने तथ्य प्रस्तुत कर दिए हैं। चतुर्थ अध्याय में कुछ विस्तृत रूप में संस्कृत जैन कृष्ण साहित्य की मैंने गवेषणा की है तथा कुछ अपने निष्कर्ष भी प्रस्तुत कर दिए हैं। पंचम अध्याय में मैंने अपभ्रंश जैन श्रीकृष्ण साहित्य का आलोड़न करते हए जो तथ्य हाथ लगे उनका अध्ययन प्रस्तुत कर दिया है।
इस तरह मेरे पास जैन परम्परा में श्रीकृष्ण साहित्य की अब तक बहुत सी ऐसी सामग्री प्रस्तुत हो गई थी जिसके आधार पर इन जैन आयामों के साथ में आगम, आगमेतर, पुराण चरित, महाकाव्य जैसे कथानकों से प्राकृत, संस्कृत और अपभ्रंश भाषाओं में उपलब्ध जैन श्रीकृष्ण कथा को संक्षिप्त रूप से उपलब्ध कर सकता था । षष्ठ अध्याय में मैंने यही कार्य कर दिया है । ऐसा करते हुए मैंने इस कथा के संदर्भ भी यथास्थान दे दिए हैं।
___ सप्तम और अष्टम अध्यायों में मैंने क्रमशः हिंदी जैन श्रीकृष्ण रास और पूराण साहित्य का और हिन्दी जैन श्रीकष्ण मुक्तककाव्यों काअनुशीलन प्रस्तुत किया है । दोनों अध्यायों के अंत में मैंने अपनी खोज में उपलब्ध तथ्यों और निष्कर्षों को भी दे दिया है।
नवम अध्याय में मैंने उपसंहार के रूप में अपने शोधात्मक निष्कर्षों को देकर एक तुलनात्मक तथ्यपरक विवेचन प्रस्तुत कर दिया है। अंत में तीन परिशिष्टों में मैंने क्रमशः जैन श्रीकृष्ण कथा के संदर्भ में (१) भौगोलिक परिचय, (२)वंश परिचय (३) राज और राजनीति और अन्त में (4) संदर्भ ग्रन्थ सूची दे दी है । इस तरह मेरे शोध कार्य की यह विनम्र भूमिका है।
श्रीकृष्ण चरित्र को प्रतिपाद्य विषय बनाकर जैन लेखकों ने एक दीर्घ परम्परा में इसे साहित्य की अनेक विधाओं में विशेषतः चरित्र महाकाव्यों, पौराणिक महाकाव्यों, खण्डकाव्यों और स्फुट या मुक्तक काव्यों के रूपों में इसे प्रस्तुत किया है । इसमें श्रीकृष्ण के साथ २२ वें तीर्थंकर अरिष्टनेमि या नेमिनाथ, बलराम, प्रद्युम्न, गजसुकुमाल, जरासंध, कंस, रुक्मिणी और पंच पांडवों का भी समावेश है। इन प्रमुख पात्रों के साथ अन्य गौण पात्र भी अनेक आये हैं। इनका यथासंभव यथास्थान मैंने अपने इस शोध प्रबंध में यथोचित ढंग से विवेचन प्रस्तुत कर दिया है। जैन दार्शनिक दृष्टि जीवन में संयम, वैराग्य सिखाकर, मोक्षगामी बनाकर कैवल्य की प्राप्ति कराती है। इस अध्ययन में श्रीकृष्ण चरित्र के संदर्भ-संपर्क में जो प्रमुख और गौण पात्र आए
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