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________________ हिंदी जैन श्रीकृष्ण मुक्तक साहित्य आयो मांरा पिउ जी घर-घर दीपक माल नेमजी ओ मिगसर मासज, मिगसर मासज आयो मांरा नेमजी आयो मांरा पिउ जी साधू संत विहार... नेमजी ओ पोहज मासज, पोहज मासज आयो मांरा नेमजी आयो मांरा पिउजी ठण्ड पड़ े जी अपार नेमजी ओ माघ मासज, माघज मासज आयो मांरा नेमजी आयो मांरा पिउ जी थर-थर कांपे शरीर... नेमजी ओ फागण मासज, फागण मासज आयो मांरा नेमजी आयो मांरा पिउ जी घर-घर उड़े रे गुलाल... मजी ओ चेतज मासज, चेतज मासज आयो मांरा नेमजी आयो मांरा पिउ जी पूजन दो गिणगोर ... नेमजी ओ वैशाख मासज, वैशाख मासज आयो मांरा नेमजी आयो मांरा पिउ जी आखा तीज तेवार... (११) नेमजो और राजुल का संवाद (तर्ज – तेजा गाओगा जो ... ) राजुल – सुनज्यो- सुनज्यो नेमजी थे पाछा क्याने जावो हो । राजुल तो जोवे है थारी बाटडी ॥ नेमजी : जीवांरी तो घात म्हासु, सही नहीं जावे हो, म्हारी तो काया रे पलटो खावियो || राजुल : एक नहीं हां दो नहीं पर घणां भवां रो साथ हो । इ भव म्हाही तारी म्हारा नेमजी ॥ म्हारा तो हृदय में बस गया आपजी || कुण थाने भरमायों न कुण तो बहकायो हो, कोई तो कारण सुं काठा रूठिया ॥ मुश्किल से तो ब्याव रचायो सुनज्यो प्यारा नेमजी, तोरण आया किंकर छोड़ियो ॥ मूक जीवां पर दया थाने आई म्हारा नेमजी, हां राजुल का हृदय तु किण विध तोड़ियो । मी : माया सुं मुक्ति नहीं है सुनज्यो राजुल नार ए, कायाबिन माया धूल जान ज्यो । ३५. नेमजी और राजुल संवाद Jain Education International For Private & Personal Use Only २३ε www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
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