SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 205
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत में कृष्ण कथा १८७ ___मुनि बलराम, मृग और रथी इस प्रकार शुभ विचारों में मग्न थे कि तभी सहसा वृक्ष की एक भारी शाखा टूटकर उन पर गिरी और तीनों प्राणियों कि इहलीला समाप्त हो गयी। शुभध्यान में देह त्याग कर ये तीनों ब्रह्म देवलोक के पद्मोत्तर विमान में उत्पन्न हुए। महत्वपूर्ण निष्कर्ष हिन्दी जैन साहित्य में श्रीकृष्ण कथा को मैंने अपनी अल्पमति के अनुसार प्राकत आगम, प्राकृत आगमेतर तथा अपभ्रंश और संस्कृत जैन ग्रंथों के आधार पर यहाँ पर संक्षिप्त रूप में सप्रमाण और ससंदर्भ प्रस्तुत करने की चेष्टा की है, यही इस अध्याय का महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष है। अगले अध्यायों में हिन्दी जैन श्रीकृष्ण साहित्य का अनुशीलन मैं प्रस्तुत करने का प्रयत्न कर रहा हूँ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy