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________________ प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत में कृष्ण कथा १७६ सौ अपराध न कर लेगा-मैं इसका वध नही करूँगा। बड़ा होने पर शिशुपाल बड़ा अहंकारी हो गया। श्रीकृष्ण को भी अपने नियंत्रण में रखना चाहता था19 और उन पर आक्रमण भी करने लगा। उसने सौ अपराध कर डाले ।194 वह रुक्मिणो से विवाह करना चाहता था । युद्धाभिलाषी नारद जी ने श्रीकृष्ण को यह सूचना दी और वे ८ प्रकार की सेना-सहित पहुँचे, शिशुपाल का वध किया15 और रुक्मिणी देवी से विवाह कर लिया।198 १६३. उत्तरपुराण ७१/३४९-३५१ पृ० ३६८ । १६४. उत्तरपुराण ७१/३५२ । १६ . (क) त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र (८/७/४८०-४०४) आदि अन्य जैन ग्रंथों के अनुसार शिशुपाल का वध जरासंध युद्ध के समय हुआ, रुक्मिणी परिणय के समय नहीं। (ख) महाभारत-राजसूय यज्ञ करने वाले पांडवों ने प्रथमतः श्रीकष्ण की अचना की, यह देखकर शिशुपाल रुष्ट हो गया। वह श्रीकृष्ण के विरुद्ध अनर्गल और अभद्र आलाप करने लगा। भीम उसे सहन नहीं कर पाया और वह शिशुपाल का वध करने को झपटा, किंतु भीष्म पितामह ने उसे रोक लिया और शिशुपाल जन्म की कथा बतलाने लगे। जन्मते ही वह गधे की तरह चिल्लाने लगा था और इससे माता-पिता घबराये। उसी समय आकाशवाणी हुई कि जिसको गोद में जाने पर इस बालक की दो भुजाएं और एक आंख लुप्त हो जायेगी वही उसका मारने वाला होगा । एक दिन श्रीकृष्ण अपनी बुआ (शिशुपाल की माता) से मिलने गये और और ज्योंही उन्होंने बालक को गोद में उठाया, त्योंही उसका तीसरा नेत्र और अतिरिक्त दो भुजाएं समाप्त हो गयीं। श्रीकृष्ण से माता ने पुत्रहित में प्रार्थना की। श्रीकृष्ण ने कहा कि-तेरे पुत्र के १०० अपराध तक मैं उसे क्षमा करूंगा अपराधशतं क्षाम्यं मया ह्यस्य पितृष्वजः । पुत्रस्य ते वधार्हस्य मा त्वं शोके मनः कृथाः । -महाभारत : सभापर्व अध्याय ४३ श्लोक २३ । फिर शिशुपाल ने श्रीकृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। जब उसके १०० अपराध पूरे हो गये तो श्रीकृष्ण ने क्रोध कर सुदर्शन चक्र चलाया जिससे शिशुपाल का शीष कटकर पृथ्वी पर गिर पड़ा। इस प्रकार श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया ।-महाभारत : सभापर्व : अध्या० ४५ । १६६. उत्तरपुराण ७१/३५३-५८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
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