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________________ १४८ जैन-परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य दौरान श्रीकृष्ण के उरुस्थल पर चाणूर ने ऐसा प्रहार किया कि वे अचेत हो गये । कंस ने चाणूर को इसी समय श्रीकृष्ण का अंत कर देने का संकेत दिया। चाणूर ने आक्रमण किया भी, पर बलराम ने उसे विफल कर दिया। सचेत होकर श्रीकृष्ण ने चाणूर को भुजाओं में ऐसा जकड़ा कि उसका प्राणांत हो गया । कंस ने बौखला कर अपने सेवकों को आज्ञा दी कि इन अधम गोपों को मार दो, इनके पालक नंद को भी समाप्त कर दो और उसका सब कुछ लूट लाओ। जो भी नंद का पक्ष ले उसे भी मार डालो।' कंस को ललकार कर श्रीकृष्ण ने कहा-पापी, चाणूर वध पर भी तू स्वयं को मृत नहीं मानता। मुझे मारने के पूर्व तू आत्मरक्षा का उपाय कर ले । झपट कर वे कंस के पास गये और उसके केश पकड़ उसे खींच लिया। वह धराशायी हो गया। उधर बलराम भी मुष्टिक का काम तमाम कर चुके थे । कंस की रक्षा के लिए जब उसके कर्मचारी शस्त्रादि लेकर दौड़े तो बलराम ने मण्डप के एक स्तंभ को उखाड़ कर उसकी सहायता से सबको खदेड़ दिया। श्रीकृष्ण ने कंस के मस्तक पर पैर रखा और उसे यमलोक भेज दिया। जैसे दूध में से मक्खी को निकाल दिया जाता है वैसे ही श्रीकृष्ण ने कंस की मृतदेह को उठाकर मंडप से बाहर फेंक दिया।7 हरिवंश पुराण के अनुसार कंस तलवार लेकर श्रीकृष्ण पर झपटता है और कृष्ण तलवार छीन कर उसे बालों से पकड़कर पछाड़ देते हैं और मार डालते हैं । 8 कंस ने जरासंध की सेना को भी समारोह में नागरिक रूप व वेश में खड़ा कर रखा था। कंस-वध पर वे शस्त्र लेकर लपके, पर समुद्र विजय आदि दशा) के शौर्य के सामने वे टिक न सके । ७४. (क) त्रिषष्टि : ८/५/२८४-२६५ (ख) भवभावना : २४४३-२४५६ (ग) हरिवंशपुराण में कृष्ण के बेहोश होने का वर्णन नहीं है। ७५. (क) त्रिषष्टि : ८/५/२६६-३०० (ख) भवभावना : २४५७-२४६१ ७६. (क) त्रिषष्टि : ८/५/३०१-३०२ (ख) भवभावना : २४६२-२४६४ ७७. (क) त्रिषष्टि : ८/५/३१३ (ख) भवभावना : २४६६-२४७७ ७८. (क) हरिवंशपुराण ३६/४५ पृ० ४६५ (ख) उत्तरपुराणानुसार श्रीकृष्ण ने कंस को पैर पकड़ कर घुमाया और भूमि पर पटक कर मार डाला । श्रीकृष्ण ने ऐसा तब किया जब चाणूर की मृत्यु के पश्चात् कंस स्वयं अखाड़े में उतरा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002083
Book TitleJain Sahitya me Shrikrishna Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1991
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Literature
File Size12 MB
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