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जैन-परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य अनंतसेन, ३ अजितसेन, ४ निहतारि, ५ देवयश और ६ शत्रुसेन । श्रीकृष्ण वसुदेव-देवकी के सातवें पुत्र थे ।28 वे श्लाघनीय पुरुषों की श्रेणी में थे । स्वर्ग से च्युत होकर मुनि गंगदत्त का जीव माता देवकी के गर्भ में स्थित हो गया और माता ने दिव्य स्वप्न देखे ।30 जो महापुरुषोद्भव के पूर्व संकेत थे। भाद्र-मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की अर्धरात्रि में देवकी ने मेघनील कांतिवाले संदर शिश श्रीकृष्ण को जन्म दिया ।31 श्रीकृष्ण के प्रभाव से उस समय प्रहरीजन निद्रामग्न हो गये। 2 देवकी ने पति वसुदेव से कहा कि कंस ने मेरे ६ पुत्रों को मार डाला है ।33 अब इस बालक की रक्षा करने गोकुल में नंद के घर छोड़ दें। वहीं यह बड़ा होगा। वसुदेव के सामने कंस को दिये गये वचन के पालन की समस्या थी । देवकी ने वसुदेव को प्रबोध देते हुए कहा कि छलपूर्वक लिया गया अनीति आधारित वचन-वचन ही नहीं रह जाता है। अनीतिकारी, अहितकारी वचन का पालन न करना अनीति नहीं है। वसुदेव सुदढ़ हो गये और श्रीकृष्ण की रक्षा के लिये सन्नद्ध भी। नंद देवकी के साथ दहेज में आया हुआ उनका दास था । बालक को इसके यहाँ छोड़ना निश्चित किया । घोर अंधेरी रात,
२७. त्रिषष्टि : ८111६०-६७ २८. वैदिक परंपरानुसार श्रीकृष्ण देवकी के ८ वे पुत्र थे। २६. वैदिक परंपरानुसार श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं । ३०. (क) त्रिषष्टि : ८।४।६८, (ख) वसुदेव हिण्डी अनु० पृ० ४८२ ३१. त्रिषष्टि ८।५।१०० ३२ देखें-"वसुदेव हिण्डी" ३३. (क) “वसुदेव हिण्डी'' में (पृ० ३५८-६) मारने का स्पष्ट उल्लेख है । (ख) त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र में (पर्व ८, सर्ग ५, श्लोक ६०-६७) और
(चउपन्न महापुरुष चरियं (पृ० १८३ श्लोक ४६-४७) व हरिवंशपुराण (सर्ग ३५, श्लोक १-१५) के अनुसार हरिणगभेषी देव सुलसा के मृत पुत्रों को देवकी के पास रख आता है और कंस उन्हें पछाड़ देता
(ग) भागवत स्कंध १० अ० २ अर्थात् देवकी के जन्मे हुए बलभद्र के पहले के
६ सजीव बालकों को कंस पटक कर मार देता है । ३४. त्रिषष्टि : ८।१०२, १०४
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