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निम्नप्रदेश प्रकट किया ?
मानो धरा रूपी नारी ने काजर लगाया ।
क्या हम समझें कि अपने प्रियतम पर अनुरक्त हो कर उसने अपना
घत्ता :
वर्षावर्णन - गोवर्धनोद्धरण
मधुमंथन को देखकर नदी यमुना भी मदनव्याकुल हो उठी ।
कालें जते छज्जइ पत्तउ हरियउ पीयलउ उवरि पओहरह
दुवई : दिट्ठउ इंदचाउ पुणु धणवारणपवेसि णं
जलु गलइ
तडयउइ
मरु चलइ
णिरु रसिउ
जा ताव
सरलच्छि
सुरथुइण
महिहरउ
महिविवरु
परिथुलइ
तठ्ठाइ
पडियाइ
हिंसाल
तावसइ
झलझलइ ।
तडि पडइ ।
तरु धुलइ ।
भयतसिंउ ।
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थिरभाव ।
जयलच्छि ।
जैन परंपरा में श्रीकृष्ण साहित्य
भुयजुइ ।
दिहियरउ ।
फणिणियरु |
चलवलइ ।
णट्ठाइ |
रडियाइ ।
चंडाल |
परवसइ ।
आसाढागमि वासारत्तउ । दीसइ जणेण तं सुरधणु । णं णलच्छिहि उप्परियणु ॥
पुणु अइ पंथिपहिययभयहो । मंगलतोरणु णहणिकेयहो ||
दरि भरइ
गिरि फुडइ
जलु थलु वि
थरहरइ
धीरेण
तण्हेण
वित्थरिउ
तमजडिउं
फुप्फुवइ
तरुणाइ
कायरइ
घित्ताइ
चंडाइ
दरियाई
सरिसरइ ।
सिहि ण्डइ |
गोउलु वि ।
किर मरइ |
वीरेण ।
कण्हेण ।
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उद्धरिउ 1
पायडिउं ।
५. भारतीय भाषाओं में कृष्णकाव्य, प्र० खंड - डा० भगीरथ मिश्र, पृ० १६७,
महापुराण ८६ - १५-१० से १६-१ से ३२.
विसु मुयइ |
हरिणाइ ।
वणयरइ ।
चत्ताइ ।
कंडाइ |
जरियाइ ।
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